पूजा शांडिल्य । ऊना
सीबीएसई स्कूल एसोसिएशन ऊना ने शिक्षा मंत्री से की है कि बच्चों, अध्यापक व अन्य स्टॉफ के हितों को ध्यान में रखते हुए स्कूल को सुचारू रूप से चलाने के लिए शिक्षा मंत्री स्कूल फीस व अन्य शुल्क लेने की इजाजत दें। मंगलवार दोपहर बाद एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमेश शर्मा की अध्यक्षता में सदस्यों ने डीसी ऊना संदीप कुमार के माध्यम से शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को ज्ञापन भेजा। इस माैके पर अनुज वशिष्ट व प्रमोद शर्मा भी मौजूद रहे।
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमेश शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए हमारे अध्यापक कड़ी मेहनत करके ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं और परिणाम स्वरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के शुरू होने के कारण स्कूल मार्च, अप्रैल व मई महीने की फीस नहीं ले पाएं हैं। जिस कारण टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ की सैलरी तथा अन्य खर्चों को चलाने में स्कूलों के प्रबंधक असमर्थ महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हर स्कूल की बिल्डिंग तथा बसों पर बैंक का कर्जा है। सरकार द्वारा दिए गए निर्देश द्वारा 3 महीने के बैंक की छूट के बाद यह खर्चे और बड़े रूप में सामने खड़े हो गए हैं। मासिक वेतन न मिलने पर अध्यापक तथा अन्य स्टाफ भी मानसिक परेशानी का सामना कर रहा है। इस कठिन समय में ऑनलाइन कक्षाओं को जारी करने के लिए स्कूलों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और कुछ अध्यापक सैलरी न मिलने के कारण स्कूल छोड़ने की बात कर रहे हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो सकता है। बच्चों और अध्यापकों तथा अन्य स्टाफ के हितों का ध्यान में रखते हुए तथा स्कूलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमारी मांग है कि फीस तथा अन्य शुल्क लेने की इजाजत दी जाए।
उन्होंने बताया कि हमारे स्कूलों में करीब 50 फीसदी स्टूडेंट्स के अभिभावक सरकारी या निजी क्षेत्रों में नौकरी करते हैं, जिनको वेतन मिल रहा है। 40 फीसदी व्यापारी वर्ग है, जो फीस देने में सक्षम है तथा करीब 5 से 7 फीसदी अभिभावक ऐसे हैं, जो परेशानी महसूस कर सकते हैं उनका स्कूल ख्याल रखेंगे तथा उनकी मदद की जाएगी। अगर कोई नौकरी पेशा यह सर्टिफिकेट लाता है कि उसकी कंपनी 2 महीने की सैलरी नहीं देगी तो स्कूल उसकी भी मदद करेंगे।