ग्रामीण लगा रहे आस, नहीं हुआ गांवों का विकास: पराशर

संजय ने शांतला में आयोजित किया 35वां महायज्ञ

उज्जवल हिमाचल। रक्कड़

कैप्टन संजय ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र में ग्रामीण विकास की आस लगा रहे, लेकिन गांवों में विकास की रोशनी नहीं पहुंच पाई। गांवों की समस्याएं हल करने के लिए असरदार कदम उठाने और जुनून से काम करने की आवश्यकता थी, लेकिन अनदेखी के चलते ग्रामीण क्षेत्र निरंतर पिछड़ते गए।

मंगलवार को क्षेत्र की शांतला पंचायत मेें आयोजित 35वें महायज्ञ में पराशर ने कहा कि देश ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव मनाया है, वहीं क्षेत्र के कई गांव ऐसे भी हैं, जाे आज भी समस्या रूपी गुलामी में जकड़े हुए हैं। ग्रामीणों को सुलभ जीवनयापन के लिए मूलभूत सुविधाओं की दरकार है।

संजय ने कहा कि गांववासियों को बेशक मताधिकार तो मिला है, लेकिन इसका फायदा चुनाव लड़ने वालों तक सीमित है। चुनाव जीतने के बाद स्थानीय समस्याओं को लेकर एक तरह से आंखें मूंद ली जाती हैं। कहा कि क्षेत्र के गांवों में संपर्क मार्गों का पूरी तरह से अभाव है। अगर किसी परिवार का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो वहां पर एंबुलेंस का आना भी मुमकन नहीं होता है।

आपात स्थिति में जहां पल-पल बहुमूल्य होता है, वहीं, परिवार वालों की सारी ताकत तो बीमार व्यक्ति को मुख्य सड़क तक पुहंचाने में लग जाती है। इसके बाद भी गांववासियों का संघर्ष खत्म नहीं होता है। स्थानीय अस्पतालों में जाने पर बीमार को प्राथमिक उपचार के बाद टांडा मेडीकल कॉलेज या अन्य अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में लंबे सफर में मरीज की सांसे थमी रहें, तो सगे-संबधियों के पास ईश्वरीय प्रार्थना ही एकमात्र सहारा होता है।

पराशर ने कहा कि संपर्क मार्ग न होने के कारण गांववासियों को रोजमर्रा के कार्यों के लिए खड्डों, पगडंडियों व उबड़-खाबड़ रास्तों से सफर तय करना पड़ता है। कहा कि गर्मी के मौसम में ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं। इस बार भी कई गांवों में हालात बद से बदतर बन गए। लेकिन जिम्मेदार लोग तमाशबीन बने रहे। बरसात के मौसम में भी समस्या बनी हुई है, लेकिन जनकल्याण के लिए न कोई योजना बनाई गई और न ही किसी प्रोजेक्ट के तहत काम हुआ।

संजय पराशर ने कहा कि गांवों के विकास को लेकर बड़ी-बड़ी बातें ही होती रही हैं और चुनावी मौसम में सपने भी दिखाए जाते रहे हैं, लेकिन कोई भी ग्रामीण क्षेत्रों में हुए विकास को लेकर संवेदनशील नहीं रहा। गांववासी आवास, पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य की कमियों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, बावजूद उन्हें किसी का सहारा मिलता नजर नहीं आ रहा है।

कैप्टन संजय ने कहा कि शांतला पंचायत की भी अपनी समस्याएं हैं, जिनका समाधान होना समय की मांग है। जिज्जर, घरथोली, दलित व धीमान बस्ती के लिए संपर्क मार्गों की दरकार है तो स्थानीय बाजार में शौचालय की व्यवस्था आज तक नहीं हो पाई है। कहा कि वह शांतला पंचायत की समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं, महायज्ञ में क्षेत्र के दो सौ से ज्यादा परिवारों के सदस्यों ने भाग लिया और हवन कुंड में आहुतियां डालीं।

इस अवसर पर भूपिंद्र सिंह, दीपक, सतीश कुमार, नरेश, उत्तम चंद, बलदेव सिंह, राजीव, देवेंद्र सिंह, प्रकाश चंद, कमल कुमार, विक्रम, अभिषेक, विनय, श्रवण, राजा राम, अवतार सिंह और सतपाल सहित गणमान्य मौजूद रहे।

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