ब्रिगेडियर राजीव ठाकुर ने राज्यपाल से भेंट की—बागवानी मंत्री ने ट्रायल आधार पर स्वदेशी एंटीहेल गन स्थापित करने के लिए परियोजना बनाने के निर्देश दिए

उज्जवल हिमाचल ।  शिमला

एनसीसी मुख्यालय शिमला के ग्रुप कमांडेंट ब्रिगेडियर राजीव ठाकुर ने आज राज भवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट की। उन्होंने राज्यपाल से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् की सिफारिश के अनुसार राज्य के विश्वविद्यालयों को एनसीसी को सामान्य वैकल्पिक क्रेडिट पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करने के निर्देश देने का आग्रह किया।

राज्यपाल ने सभी कुलपतियों को नई शिक्षा नीति के अनुसार हिमाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों में एनसीसी को एक सामान्य वैकल्पिक क्रेडिट पाठ्यक्रम के रूप में लागू करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि एनसीसी को वर्तमान समय में अधिकांश विद्यालयों और महाविद्यालयों में एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधि के रूप में माना जाता है परन्तु एनईपी-2020 ने उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में एक्स्ट्रा करिकुलर और को-करिकुलर के बीच अंतर को दूर करने और एनसीसी को च्वाईस बेसड क्रेडिट सिस्टम के अंतर्गत क्रेडिट कोर्स के रूप में प्रस्तुत करने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि सीबीसीएस समेस्टर प्रणाली में शैक्षणिक पाठ्यक्रम पर ही ध्यान केन्द्रित होता था, जिससे एनसीसी जैसी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी के लिए बहुत कम समय रहता था। उन्होंने कहा कि एनईपी ने सभी उच्चरतर शिक्षण संस्थानों को सामाजिक सेवाओं और सामुदायिक विकास पर क्रेडिट आधारित पाठ्यक्रम और परियोजनाओं को शामिल किया गया है।

श्री दत्तात्रेय ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान एनसीसी केडेट सराहनीय कार्य कर रहे हैं और पिछले वर्ष भी उन्होंने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि संगठन ने विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना पैदा करने और व्यक्तित्व के विकास में सहायता की है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि एनसीसी के माध्यम से विद्यार्थियों को अनुशासन और समग्र विकास का पाठ पढ़ाया जाए।

इस अवसर पर ब्रिगेडियर राजीव ठाकुर ने राज्यपाल को अवगत करवाया कि एनसीसी शिमला के समूह निदेशालय में एक लड़कियों की एनसीसी बटालियन के साथ पांच एनसीसी बटालियन हंै, पांच स्वतंत्र एनसीसी क्वाॅयस, एक नौसेना एनसीसी यूनिट और एक एयर सक्वाड्रन है। एनसीसी हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में फैली हुई है और रक्षा बलों के तीनों अंगों के प्रशिक्षित 28 हजार 724 एनसीसी क्रेडिट बल है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में एनसीसी प्रशिक्षण उन स्वयंसेवी छात्रों को पाठ्येतर गतिविधि के रूप में प्रदान किया जाता है, जिन्होंने मान्यता प्राप्त स्कूलों और महाविद्यालयों में अपना नामांकन कैडेट के रूप में करवाया हो। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में सीबीएससी और यूजीसी ने एनसीसी को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने के लिए परिपत्र जारी किया था। इस पर वर्ष 2015 तक सिर्फ 17 स्कूलों, 12 स्वायत्तशासी महाविद्यालयों और 42 गैर स्वायत्तशासी महाविद्यालयों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसके दृष्टिगत मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वर्ष 2016 में पुनः परिपत्र जारी किया।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों में एनसीसी पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार च्वाइस बेसड क्रेडिट सिस्टम के तहत सामान्य वैकल्पिक कैडेट कोर्स के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। इससे युवाओं के विकास और छात्रों को एनसीसी के प्रशिक्षण के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए एनसीसी की क्षमता को उपयोग में लाने में मदद मिलेगी। राज्यपाल के सचिव राकेश कंवर और कर्नल सुनील सांकटा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

बागवानी मंत्री ने ट्रायल आधार पर स्वदेशी एंटीहेल गन स्थापित करने के लिए परियोजना बनाने के निर्देश दिए

देश में निर्मित स्वदेशी एंटीहेलगन को प्रदेश में ट्रायल आधार पर स्थापित करने व सेब की फसल के विपणन के लिए बागवानों को समय पर कार्टन उपलबध करवाने को लेकर बागवानी एवं जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में आज यहां समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में बागवानी एवं जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने अधिकारियों को बागवानों की सुविधा के लिए समय पर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए ताकि बागवानों को कार्टन व सेब ढुलाई के लिए ट्रकों की कमी सहित किसी अन्य समस्या का सामना न करना पड़े।

बागवानी एवं जल शक्ति मंत्री ने कहा कि आईआईटी मुम्बई व डाॅ. वाई. एस. परमार बागवानी विश्वविद्यालय नौणी के संयुक्त प्रयासों से स्वदेशी एंटीहेल गन विकसित की गई हैं। उन्होंने कहा कि बागवानों के हित के मध्यनजर इस स्वदेशी एंटीहेल गन को ट्रायल आधार पर प्रदेश में 8 से 10 स्थानों पर स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जाए ताकि इस स्वदेशी एंटीहेलगन का अध्ययन किया जा सके और बागवानों को कम कीमत वाली स्वदेशी एंटीहेलगन तकनीक उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में जिस विदेशी एंटीहेलगन का प्रयोग किया जा रहा है उसकी कीमत लगभग 2 से 3 करोड़ रुपये हैं। उन्होंनेे कहा कि स्वदेशी तकनीक की एंटीहेलगन के माध्यम से ही एंटीहेलगन की कीमतों को कम किया जा सकता हैं।

उन्होेंने कहा कि सेब की पेटियों की दरें एचपीएमसी के सहयोग से निर्धारित की जाए और सेब की पेटियों को बनाने वाले निर्माताओं को सूचीबद्ध किया जाए ताकि बागवानों को उचित दरों पर सेब की पेटियां समय पर उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि गत्ते की पेटियों के स्थान पर प्लास्टिक कार्टन का उपयोग सेब के विपणन हेतू प्रयोग के तौर पर करने की भी सम्भावना तलाशी जाए।

महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि  विश्व बैंक पोषित बागवानी परियोजना के अन्तर्गत बनाए जा रहे मार्केटिंग यार्डो एवं शीत गृह निर्माण आदि के कार्यो में तजी लाई जाए ताकि सेब उत्पादक बागवानों को सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि जो सेब  मंडी मध्यस्थता योजना के अन्तर्गत एचपीएमसी और हिमफेड द्वारा प्रापण किए जाते हैं, उनकी बोरियों पर फल प्रापण केंद्र का नाम व संख्या दर्ज की जाए ताकि प्रापण किए गए फलों की गुणवता की जांच हर स्तर पर सुनिश्चित की जा सके।

बैठक में एपीएमसी के शिमला के अध्यक्ष नरेश शर्मा, प्रबंध निदेशक एपीएमसी नरेश ठाकुर, आईआईटी मुम्बई के प्रोफैसर सुदर्शन कुमार, डाॅ. वाई. एस. परमार बागवानी विश्वविद्यालय नौणी के प्रोफैसर एस.के. भारद्धाज, वल्र्ड बैंक के प्रतिनिधि आशीष नड्डा, निदेशक बागवानी जे.पी. शर्मा, निदेशक एकीकृत बागवानी विकास परियोजना हेम चंद, एकीकृत बागवानी विकास परियोजना के एसएमएस देवेंद्र ठाकुर, एसएमएस बागवानी विभाग कोटखाई धर्मवीर काल्टा, फ्रूट ग्रोवर एसोसिएशन के प्रधान हरीश चैहान, सेरी बगलों फल उत्पादक संघ के सदस्य हुक्म चंद ठाकुर आदि बैठक में उपस्थित थे।