आरक्षण कोई ऎहसान नहीं, बल्कि संवैधानिक व्यवस्था का हिस्सा : दर्शन लाल

संजीव कुमार। गोहर

 

यह बात अनुसूचित जाति-जनजाति सरकारी कर्मचारी कल्याण संघ के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष दर्शन लाल ने कही। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर आधारहीन हाय तोबा का वातावरण बनाया जा रहा है। जबकि आरक्षण संवैधानिक व्यवस्था का मूल हिस्सा है । जिसमें अनुसूचित जाति- जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ सामान्य वर्ग भी आरक्षण की व्यवस्था में शामिल हैं। कहा कि संवैधानिक व्यवस्था में हर व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है। लेकिन अपना पक्ष रखते हुए किसी वर्ग विशेष पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण के संबंध में भ्रम फैला कर आधे अधूरे पहलू को प्रचारित करना ठीक नहीं है।

 

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति- जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की 75% आबादी के लिए 49.5% आरक्षण की व्यवस्था निश्चित की गई है। जबकि सामान्य वर्ग की 25% आबादी भी आर्थिक आधार पर मिल रहे 10% आरक्षण के साथ 50.5% का लाभ ले रही है। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की 32% आबादी को नौकरियों में 22.5 की हिस्सेदारी निश्चित है । जबकि रोस्टर को दरकिनार करके हो रही भर्तियों से अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था कागजों तक सिमटती जा रही है। उन्होंने कहा कि संघ पूरे प्रदेश के हर जिला में कर्मचारियों जागरण करेगा। उन्होंने प्रदेश के सभी कर्मचारियों से नौकरियों और पदोन्नतियों में रोस्टर की व्यवस्था को सुनिश्चित करवाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।