कपड़े व जूतों के दामों में उछाल, 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत हुई टैक्स दर, करोबारियों में रोष

विनय महाजन। नुरपुर

प्रदेश सरकार द्वारा 1 जनवरी कपड़े, जूतों, व रेडिमेट कपड़ों पर से टैक्स दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिए जाने के प्रस्ताव पर नूरपुर क्षेत्र के कारोबारी वर्ग में काफी बेचैनी व्याप्त हो गई है। पहले जहां इन वस्तुओं पर केवल 5 प्रतिशत जीएसटी थी अब इसे 12 प्रतिशत लगभग ढाई गुना बढ़ा दिए जाने से कारोबारियों में काफी रोष व्याप्त है। स्टेशनरी के व्यापारी पप्पू शर्मा, आदित्य शर्मा इत्यादि का कहना है कि पेन, वैक्स कलर, स्केच आदि पर सरकार द्वारा 1 अक्टूबर से 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत कर दिया गया है। वही शूज विक्रेता, सौरव महाजन, आदर्श महाजन, रॉकेश भारती रेडिमेट कपड़ो के विक्रेता रमन मेहरा, शिवाय, नवनीत गुप्ता आदि  का कहना है कि कोरोना काल के चलते चल रहे हैं व्यापार की डांवाडोल डोल स्थिति आज भी चल रही है।

ऐसे में यह बढ़ोतरी व्यापारियों के लिये ओर अधिक परेशानी पैदा करेगी। नूरपुर जसूर सदवां भडवार कोटला गगथ इन्दौरा डमटाल रहैन सुलयाली इत्यादि क्षेत्र के विभिन्न व्यापार मंडलों द्वारा भी इस अत्याधिक बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया गया है। जसूर  व्यापार मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष राजीव राजू का कहना है कि  कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों पर 5 प्रतिशत मार्केट फीस लगाकर पड़ोसी प्रांतों के मुकाबले इस प्रदेश में एक तरफ खाद्यान्न महंगे करके जनता पर भार डाल दिया गया तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा अनेक चीजों के टैक्स स्लैब को 5 से 12 प्रतिशत इससे भी कारोबारियों व आम जनता पर महंगाई थोप रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार पर  इस टैक्स बढ़ोतरी को वापस ले तथा महंगाई बढ़ाने से गुरेज करें।

वही प्रदेश व्यापार संघ के अध्यक्ष सुमेश शर्मा का कहना कि  आम कारोबारी वर्ग इस समय काफी दयनीय अवस्था का सामना कर रहा है तथा उसका आजीविका चलाना भी दुश्वार हो रहा है ऐसे में सरकार द्वारा जीएसटी टैक्स स्लैब 5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत करना व्यापारियो से विश्वासघात है। केंद्र सरकार को इसे तत्काल वापस लेना चाहिए!कहा कि  टैक विश्वासघात है। केंद्र सरकार को इसे तत्काल वापस लेना चाहिए। कहा कि टैक्स में जितनी ज्यादा बढ़ोतरी होगी कर वंचना ज्यादा होगी। गत 2 वर्ष में कोविड-19 में कारोबारी पहले ही टूट चुका है ऐसे में केंद्र सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करें तथा इसे खारिज।