इंजेक्शन की कमी से जूझ रहे ब्लैक फंगस से पीड़ित गंभीर रोगी

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

दिमाग में फैल चुके ब्लैक फंगस और इससे पीड़ित गंभीर रोगियों के उपचार के लिए निर्धारित लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की प्रदेश में कमी है। दो गंभीर रोगियों को यह इंजेक्शन लगाने की जरूरत है, लेकिन उन्हें सामान्य टीके ही लगाए जा रहे हैं। हालांकि सामान्य इंजेक्शन की डोज बढ़ाना मरीज के लिए खतरनाक है और किडनी खराब कर सकता है। लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की डोज को बढ़़ाने पर उसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता।

ऐसे में ब्लैक फंगस पीडि़त मरीजों के स्वजन ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखा है कि इंजेक्शन उपलब्ध करवाया जाए। ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज प्रदेश सरकार उठा रही है। आइजीएमसी ने भर्ती ऐसे मरीजों के उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक करोड़ रुपए का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। प्रस्ताव पास होने के बाद ही रोगियों को इंजेक्शन उपलब्ध हो पाएंगे। हमीरपुर की 52 वर्षीय और सोलन की 24 वर्षीय महिला को लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन लगना है। दो दिन से उन्हें सामान्य इंजेक्शन की एक-एक डोज दी गई है।

हालांकि हर दिन उन्हें आठ से दस वायल एक डोज के तौर पर लगनी है। डॉक्टरों ने भी निर्धारित इंजेक्शन लगाने की जरूरत जताई है। देश में इस टीके की किल्लत है और महामारी घोषित करने के बाद सरकार का इस पर पूर्ण नियंत्रण है। ब्लैक फंगस से पीड़ित हमीरपुर की 52 वर्षीय महिला के स्वजन सुमित ने बताया कि उपचार के लिए चिकित्सकों ने जो इंजेक्शन बताया है वह स्टॉक में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री और आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सक अधीक्षक से इंजेक्शन उपलब्ध करवाने की मांग की है। ब्लैक फंगस दिमाग तक फैलने के बाद डॉक्टरों ने लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन को लगाने के लिए कहा है।

इसकी एक डोज तो लगाई, पर अब सामान्य इंजेक्शन दिया है। ब्लैक फंगस के इलाज में लिए तीन तरह के इंजेक्शन का प्रयोग होता है। एक 300, लिपिड मिक्स 2500 रुपए प्रति वायल और लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन पांच हजार रुपए प्रति वायल है। 50 किलो भार वाले मरीज को प्रतिदिन दस वायल लगानी पड़ती है, यानी 50 हजार रुपप प्रतिदिन का खर्च है। यह इलाज करीब 30 दिन और कई बार 50 दिन तक चलता है। नोडल अधिकारी डॉक्‍टर जगदीप ठाकुर नेे कहा सामान्य इंजेक्शन तो उपलब्ध हैं, लेकिन लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी की कमी है।

दो मरीजों को इन्हें लगवाने की जरूरत है, उनके लिए इसे मंगवाया गया है। एक डोज दी है। दस मरीजों के लिए आने वाले खर्च के लिए एक करोड़ का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष आइजीएमसी डॉ. रामलाल का कहना है कि ब्लैक फंगस के मरीजों का सरकार मुफ्त उपचार कर रही है। हालांकि इसके इंजेक्शन महंगे हैं और उनकी कमी भी है। यह लगातार मरीज को लगाने पड़ते हैं। इसलिए खर्च अधिक आता है, जो सरकार वहन कर रही है। अस्पताल में भर्ती सभी रोगियों का उपचार निःशुल्क किया जा रहा है।