अरुण पठानिया। रैहन
वर्तमान समय में जब संपूर्ण विश्व में कोरोना महामारी अपने पांव पसार चुकी है। एक तरफ जहां पूरे विश्व में हर कोई अपने आप को बचाने के बारे में सोच रहा है। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने साथ-साथ दूसरे कैसे जीएं, यह भी सोच कर सभी जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं। चाहे पैसे की मद्द हो अथवा खाने की। वहीं, इस कोरोना रूपी महामारी के समय में एक शख्स ऐसा भी है, जिसने समाजसेवा, देशसेवा, मानवता सेवा, विश्वकल्याण की ऐसी मिसाल पेश की है कि हर कोई उनकी इस भावना का मुरीद हो गया है।
हम बात कर रहे हैं डॉ अरूणदीप शर्मा की। मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला से संबंध रखने वाले तथा असिस्टैंट प्रोफेसर संस्कृत के पद पर कार्यरत डॉ अरूण ने यह घोषणा की है, जब भी कोरोना महामारी की वैक्सीन बनेगी और यदि उस वैक्सीन के परीक्षण के लिए मानव शरीर की आवश्यकता होगी, तो डॉ अरूणदीप अपने शरीर पर परीक्षण करवाने को तैयार हैं।
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आपको बताते चलें कि जब भी किसी ऐसी वैक्सीन का परीक्षण किया जाता है, तो यह पता नहीं होता कि उसका वैक्सीन का शरीर पर सकारात्मक प्रभाव होगा या नकारात्मक और अगर नकारात्मक प्रभाव हो तो किसी भी हद तक शारीरिक नुकसान हो सकता है। डॉ अरूणदीप का कहना है कि हमारी संस्कृति की यह परंपरा रही है कि हमने मानवता के कल्याण के लिए अपना सर्वस्व दिया है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने महर्षि दधीचि हैं, जिन्होंने जनकल्याण मात्र के लिए अपनी अस्थियां तक समर्पित कर दी थी। दानवीर कर्ण के विषय में कौन नहीं जानता? राजा बलि से कौन अपरिचित है? डॉ अरूणदीप का कहना है कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग एवं भारत सरकार स्वास्थ्य विभाग एवं सीएसआईआर (CSIR) तथा आईसीएमआर ( ICMR ) को इस संदर्भ में ई-मेल भी कर दी है और अगर उन्हें यह अवसर प्राप्त होता है, तो वे खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे और उन्हें बेसब्री से उस पल का इंतजार है।