अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मनाने के लिए किसानों से जुड़े कई कार्यक्रमों की परिकल्पना: कुलपति

The Chief Minister donated his first salary to the Chief Minister's Sukhashraya Sahayata Kosh
मुख्यमंत्री ने अपना पहला वेतन मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष में किया दान

उज्जवल हिमाचल। पालमपुर
चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने मोटे अनाज के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष का जश्न मनाने के लिए कई कार्यक्रमों की परिकल्पना की है। नए साल के संबोधन में कर्मचारियों और विद्यार्थियों से यह खुलासा कुलपति प्रोफेसर एचके चौधरी ने सोमवार किया।

कुलपति ने छात्रों को प्रासंगिक ज्ञान को अधिकतम क्षमता में आत्मसात करने और शीर्ष राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अपने उच्च अध्ययन के लिए, छात्रवृत्ति के लिए, प्रतिस्पर्धा करने के लिए हमेशा जिज्ञासु रहने का आह्वान किया।

उन्होंने वैज्ञानिकों से विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले 30 से अधिक प्रमुख संस्थानों के साथ उच्च शोध में विद्यार्थियों की मदद करने को कहा।


प्रो. चौधरी ने उद्यमिता और विद्वानों की नियुक्ति के लिए पहल पर भी चर्चा की।

यह खबरें पढ़ेंः मुख्यमंत्री ने अपना पहला वेतन मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष में किया दान

कुलपति ने प्रत्येक वैज्ञानिक को अनुसंधान को बढ़ावा देने और अपनी शोध जरूरतों में आत्मनिर्भर बनने के लिए 30 लाख की शोध परियोजना स्वीकृत कम से कम एक परियोजना देने को कहा।

उन्होंने कहा कि किसी को भी अपनी क्षमता कम नहीं आंकना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय प्रमुख संस्थानों के सहयोग से विशाल हिमालय में मौजूद क्षमता की खोज के लिए काम करना चाहिए।

प्रो. चौधरी ने उद्योगों के साथ भी सहयोग और समन्वय का आह्वान किया। कुलपति ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष है और हिमाचल प्रदेश में चार महत्वपूर्ण मोटे अनाज उगाए जाते हैं। प्रो. चौधरी ने कहा विश्वविद्यालय में मेले, सेमिनार, चर्चा आदि जैसे कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है ताकि इसे मनाने के लिए किसानों सहित सभी हितधारकों को शामिल किया जा सके।

विश्वविद्यालय ने तीन महीने पहले भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय और इसके अनुसंधान केंद्रों में बाजरा और अन्य फसलों के अनुसंधान में तेजी लाने के लिए कुछ स्वयंसेवी केंद्र स्थापित किए जाएंगे।


उन्होंने केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और अन्य वित्तपोषण एजेंसियों को शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा में दिए गए जनादेश को पूरा करने में उनके समर्थन के लिए धन्यवाद करते हुए कहा कि भरमौर और पांगी जैसे कुछ दूरस्थ क्षेत्रों में स्वतंत्र कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में विशिष्ट खेती और पशुपालन की जरूरतें हैं।
विश्वविद्यालय ने ऐसे क्षेत्रों में केवी को मंजूरी देने के लिए आईसीएआर से संपर्क किया है। उन्होंने डिजिटलीकरण, नई चुनौतियों, फंड निर्माण की आवश्यकता, नए बुनियादी ढांचे आदि पर चर्चा की। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी सेवानिवृत्त प्रोफेसरों को अपनी उपलब्धियों और विश्वविद्यालय और समाज में योगदान पर व्याख्यान देना चाहिए।

कुलपति ने दो प्रकाशनों का विमोचन भी किया और गैर शिक्षण कर्मचारियों को सभी कार्यक्रमों को शीघ्रता से क्रियान्वित करने में सहयोग देने को कहा। कुल सचिव संदीप सूद, डॉ. जी.सी. नेगी पशु चिकित्सा एवम पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन डा. मनदीप शर्मा और डॉ. सुरेश उपाध्याय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय गान, दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम में सभी संविधिक अधिकारी, प्रमुख, शिक्षण और गैर शिक्षक कर्मचारी और छात्र-छात्राएं शामिल हुए।

संवाददाताः ब्यूरो पालमपुर

हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें।