सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू

राजीव ठाकुर । मंडी

सीटू जिला कमेटी ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में काम के घंटे को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने के ने की कड़ी निंदा की है। सीटू ने इसे मजदूरों के अधिकारों पर कठोर प्रहार करने वाला कदम करार किया है। सीटू प्रदेश सरकार को चेताया है कि वह पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूर विरोधी नीतियां बनाना बंद करें अन्यथा वह मजदूर आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहें। सीटू के जिला महासचिव राजेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा काम के घंटों को 8 से 12 करने के खिलाफ आज पूरे प्रदेश में धरने प्रदर्शन की जा रहे हैं। कोरोना महामारी और लॉक डाउन के दौर मैं मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित व पीड़ित हैं। ऐसे समय में प्रदेश की भाजपा सरकार का यह मजदूर विरोधी कदम पूरी तरह मानवता विरोधी है। प्रदेश सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है और मजदूरों के विरोधी कानून बना रही है।

एमसीएम डीएवी कॉलेज कागड़ा में ऑनलाइन एडमिशन फॉर्म भरने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdCIqPYEk7A2g5qJB5u8aq9lxEnlG1dJRcm61FVf9MZ23Wwzw/viewform?vc=0&c=0&w=1

प्रदेश सरकार ने फैक्ट्री एक्ट 1948 की धारा 51 ,धारा 54, धारा 55 व धारा 56 में बदलाव करके साप्ताहिक व दैनिक काम के घंटों, विश्राम की अवधि व स्प्रेड आवरज मैं बदलाव कर रही है। काम के घंटों में बदलाव ने सरकार की पोल खोल दी है। सरकार के इस कदम से मजदूरों पर कई प्रकार के हमलों का दरवाजा खोल दिया है। इस निर्णय के कारण फैक्ट्रियों में एक तिहाई मजदूरों की छटनी होनी तय है। अभी 8 घंटे की ड्यूटी के कारण फैक्ट्रियों में 3 शिफ्ट का कार्य होता है। 12 घंटे की ड्यूटी से दो रह जाएगी। जिसके चलते तीसरी शिफ्ट में कार्य करने वाले एक तिहाई मजदूरों की छटनी हो जाएगी। इस निर्णय ने प्रदेश के हजारों मजदूरों की छटनी के दरवाजे खोल दिए हैं।

उन्होंने कहा कि इस निर्णय के फल स्वरुप 12 घंटे कार्य करने वाले मजदूरों बंधुआ मजदूर की स्थिति में पहुंच जाएंगे। इससे मजदूरों को 5 घंटे के बाद अनिवार्य रूप से मिलने वाली खाने सहित विश्राम की अवधि का समय बढ़कर 6 घंटे हो जाएगा। यूरोप सहित दुनिया के कई देशों के मजदूर कुल घंटे के कार्य दिवस की लड़ाई लड़ रहे हैं और भारत की कई राज्यों में सरकारी अधिसूचना के माध्यम से मजदूरों पर 12 घंटे का कार्य दिवस थोंप दिया गया है। वर्तमान में प्रदेश के ज्यादातर उद्योगों में न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 वह वेतन भुगतान अधिनियम 1936 को पहले से लागू नहीं किया जाता है। सरकार की इस कदम से मजदूरों का शोषण और तेज होगा। इस अधिसूचना से पूंजीपतियों को मजदूरों की खुली लूट करने का अधिकार मिल जाए गा जिससे प्रदेश का मजदूर वर्ग किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं करेगा।