पांच दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयाेजित

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर

कृषि विज्ञान केंद्र मंडी द्वारा नाबार्ड द्वारा वित्तपोषित परियोजना के अंतर्गत किसानों के लिए मशरूम उत्पादन विषय पर 8 से 12 फरवरी तक पांच दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में जिला मंडी के विभिन्न विकास खंडों के लगभग 35 किसान भाग ले रहे हैं। शिविर के चौथे दिन कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरिंद्र कुमार चौधरी ने विषेशतौर पर किसानों से चर्चा की तथा विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों से अवगत करवाया।

.उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का समय आधुनिक तकनीकी व मशीनीकरण का युग है। अब ऐसी तकनीकें विकसित हो चुकी हैं कि भूमि के अभाव में भी खेतों के अतिरिक्त घर की चार दिवारी में जैसे हाइड्रोपानिक, टेरेस फार्मिंग व मशरूम की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। किसानों की ताकत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि किसान वैज्ञानिकों से निरंतर सम्पर्क बनाए रखें तथा तकनीकी ज्ञान का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। इस अवसर पर केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पंकज सूद व अन्य वैज्ञानिक तथा कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से आए डॉ. अरूण शर्मा व राम सरण शर्मा भी मौजूद रहे।

जमीन का संतुलन बनाए रखने के लिए जैविक खाद का करें प्रयोग: चौधरी
कुलपति हरिंद्र कुमार चौधरी ने प्रदेश में असन्तुलित खादों के प्रयोग का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को जमीन में संतुलन बनाए रखने के लिए जैविक खादों को अपनाने पर बल दिया जाए। साथ ही पुरानी फसलों के बीजों के संरक्षण का आह्वान किया। उन्होंने पुरानी फसलों की तुलना घर में मौजूद बुजुर्गाें से करते हुए कहा कि जिस तरह बुजुर्गाें का वंश चलाने में योगदान रहता है, उसी प्रकार पुरानी फसलों के बीजों से नई किस्में तैयार होती हैं। उन्होंने कहा कि खेती को केवल मात्र स्वरोजगार का ही साधन न बनाकर दूसरे लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने का माध्यम भी बनाना चाहिए।