आबकारी विभाग ने हैंड सेनेटाइजर बनाने की आड़ में स्पिरिट की सप्लाई का किया भंंडाफोड़

उजज्वल हिमाचल। शिमला

राज्य के आबकारी विभाग ने हैंड सेनेटाइजर बनाने की आड़ में स्पिरिट की सप्लाई का भंडाफोड़ किया है। इस कड़ी में एक बड़ी कंपनी और उससे जुड़े तार अब विभाग के हाथ लगे हैं। यह कार्रवाई मंडी में जहरीली शराब कांड के बाद सामने आए साक्ष्यों को जोड़ते हुए की गई है। काला अंब की जिस फर्म पर यह कार्रवाई की गई है, उसने कागजों में सीएमओ धर्मशाला को हैंड सेनेटाइजर की चार खेप नवंबर और दिसंबर 21 में भेजे हैं। इसी तरह फर्म ने हैंड सेनेटाइजर की तीन खेप राजीव गांधी आयुष मेडिकल कॉलेज पपरोला को भेजे हैं। इन सभी की कीमत 51 लाख रुपए है। काला अंब की इस फर्म ने हैंड सेनेटाइजर की एक अन्य खेप कागजों में पपरोला कालेज को भेजी है। इसकी कीमत 7.50 लाख रुपए है। आबकारी विभाग ने जब इसकी दोनों विभागों से जांच पड़ताल करवाई, तो उन्होंने लिखित में सूचित किया कि उन्होंने ऐसी कोई भी सप्लाई नहीं मंगवाई है और न ही प्राप्त की है।

इसके बाद विभाग ने फर्म से इस बारे में जानकारी मांगी, लेकिन विभाग को कोई भी जानकारी मुहैया नहीं करवाई गई। इसके बाद विभाग ने ई-वे बिलों को खंगालना शुरू किया और उसमें सप्लाई की पूरी चेन का खुलासा हो गया। विभाग की मानें, तो यह व्यापारी ईएनए (एक्सट्रा  न्यूट्रल अल्कोहल) का कारोबार भी करते हैं। कुल अवैध सप्लाई 58.50 लाख रुपए की है। इससे लगभग एक लाख बल्क लीटर स्पिरिट खरीदी जा सकती है और लगभग 37 से 40 हजार पेटी शराब का उत्पादन किया जा सकता है। काला अंब और अंबाला स्थित इस कंपनी की फर्मों पर अब विभाग का शिकंजा कस रहा है और विभाग ने हैंड सेनेटाइजर सप्लाई करने की आड़ में स्पिरिट की आपूर्ति की जांच शुरू कर दी है। इस संबंध में विभाग ने फर्म के खिलाफ आगामी कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करवाई है।

बिना लाइसेंस चल रहा था फर्म में काम

राज्य कर एवं आबकारी आयुक्त यूनुस ने बताया कि जिला मंडी स्थित गोवर्धन बॉटलिंग प्लांट में निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितताओं की कडि़यों को जोड़ते हुए और ऑनलाइन डाटा से ई-वे बिलों की जांच की गई। इस जांच में विभाग ने सिरमौर के काला अंब स्थित एक औद्योगिक परिसर डच फोरमुलेशन में विभाग के संयुक्त आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी उज्जवल राणा के नेतृत्व में टीम ने निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि परिसर में किसी भी प्रकार का कोई उत्पाद तैयार नहीं किया जा रहा था। इकाई के पास ड्रग अथॉरिटी का कोई लाइसेंस नहीं है। इस यूनिट ने वर्ष 2020-21 में 8.06 करोड़ रुपए की परचेज ई-वे बिलों में की है और लगभग  4.77 करोड़ रुपए की बिक्री दिखाई है और दोनों में कुल अंतर 3.39 करोड़ रुपए बनाता है। इस कंपनी की एक अन्य फर्म  डेनिश लैब अंबाला में है। इस फर्म के भी ई-वे बिल चेक किए गए।