भगवान विष्णु का ऐसा पवित्र स्थल जहां पर महिलाएं करती है पिंडदान!

भगवान विष्णु का ऐसा पवित्र स्थल जहां पर महिलाएं करती है पिंडदान

उज्जवल हिमाचल। डेस्क
अपने देश की दो पवित्र धामों की यात्रा करने के उपरांत हमारी मीडिया की टीम अपने सभी दर्शकों को एक और पवित्र स्थल गया धाम के दर्शन करवाने जा रहे है। यह धाम भी काफी प्राचीन है। इस धाम में त्रेता युग से जुड़ी काफी रोचक घटनाओं का वर्णन किया गया है। बिहार प्रदेश के अंतर्गत पड़ने वाली यह पवित्र स्थल गया है।

जिसको कि बोधगया के नाम से भी जाना जाता है। इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए यहां के पंडित ने बताया कि बोधगया नाम से विश्व विख्यात इस नगरी को मोक्ष का अंतिम द्वार भी कहते है और इस धाम में पहुंचने के बाद किसी के मृत व्यक्ति के पिंड दान किए जाए, तो मृत व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह सीधे विष्णु धाम को चला जाता है।

उन्होंने बताया कि इस धाम में माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ के पिंड दान इसी फाल्गु नदी के समक्ष किए थे। अतः यही एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहां पर किसी भी औरत के हाथों से पिंडदान की प्रथा को पूरा किया जाता है और उनके द्वारा किया गया पिंड दान सीधे-सीधे उसी ही मनुष्य को लग जाता है।

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जिसका सिमरन वह महिला उसके गोत्र के साथ करती है। आपको बता दें कि भगवान विष्णु को समर्पित यह बोधगया नगरी जिसमें भगवान विष्णु का एक विशाल मंदिर भी है तथा उस मंदिर के गर्भगृह की एक शिला ऐसी भी है, जहां पर भगवान विष्णु के पांव के निशान स्पष्ट तौर से उभरे हुए है।

माना जाता है कि गया नामक राक्षस के आतंक से मुक्ति दिलाने की खातिर भगवान विष्णु ने अपने पांव से उस गया नामक राक्षस को धरती के नीचे धकेल दिया था और आज भी भगवान विष्णु के पद चिन्ह मंदिर के भीतर पड़ी एक शीला में स्पष्ट दिखाई देते हैं।

मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति अपने पितरों का पिंड दान करने के बाद भगवान विष्णु के इस मंदिर के दर्शन करता है, उनके पितरों के उधार तो हो ही जाते है। वहीं पिंड दान करने वाले व्यक्तियों को इस पुण्य का लाभ मिल जाता है। फाल्गु नदी के किनारे यह वही पवित्र स्थली है, जहां पर भारत वर्ष के कोने-कोने से लोग इस स्थान पर आते हैं और अपने पूर्वजों के पिंड दान को करते है।

हालांकि यह बहुत ही पवित्र स्थली है। पर इस स्थान की स्वच्छता पर एक नहीं अपितु कई सवालिया निशान खड़े हो जाते है। इस स्थान की बद से बदतर हालत को देखकर हर कोई परेशान हो जाता है। भगवान विष्णु की इस पवित्र नगरी जिसमें माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ को मोक्ष मिले, इसलिए अपने हाथों से इसी स्थान पर फाल्गु नदी के तट के किनारे पिंड दान किया था।

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पर आज इस स्थल की हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि कोई भी व्यक्ति एक बार इस स्थान पर आ जाए, तो दुबारा यहां नहीं आना चाहता है। यहां पहुंचे कुछ लोगों से हमारी मीडिया की टीम ने बात की तो उन्होंने हमारी टीम को देखने के बाद हमसे गुहार लगाई कि इतने पवित्र स्थल की आज ऐसी हालत खराब हो चुकी है। कोई भी व्यक्ति इस और कोई ध्यान नहीं देता है, बस यहां के लोग सिर्फ पैसा कमाने को ही लगे हुए है।

उधर यहां के पंडित ने भी इसी तरह की कुछ मिली जुली प्रतिक्रिया हमारे सामने रखी। उन्होंने इस पवित्र स्थल में पड़ी गंदगी को लेकर सीधे-सीधे जिला प्रशासन और यहां के स्थानीय नुमाइंदों को ठहराया है। उन्होंने भी जिला प्रशासन के साथ नगरपालिका पार्षदों से गुहार लगाते हुए मांग की है कि इस स्थल को स्वच्छ बनाने कोई ठोस प्रयास किए जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पवित्र स्थल को देखने यहां आए।

इसी के साथ हम अपने दर्शकों को बोधगया के दर्शनों को भी करवाने जा रहे है। आपको बता दें कि भगवान बुध को समर्पित यह स्थल जिसमें करीब एक दर्जन भगवान बुध के ही मंदिर है। इस स्थल पर देश विदेश के हजारों सैलानी इस स्थान पर आकर और भगवान बुध की 80 फीट ऊंची प्रतिमा और भगवान बुद्ध के उस वट वृक्ष के नीचे जहां पर उन्हें भगति का ज्ञान हुआ था। यह सब देखकर लोग काफी प्रफुल्लित हो उठते है।

संवाददाताः शैलेश शर्मा

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