टांडा मेडिकल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की खुली पोल

मरीजों व तामीरदारों ने बताई सच्चाई

TANDA MEDICAL HOSPITAL
टांडा मेडिकल अस्पताल

अंकित वालिया। कांगड़ा

प्रदेश का दूसरे सबसे बड़ा टांडा मेडिकल अस्पताल आए दिन अपने परिसर में असुविधाओं के कारण अक्सर चर्चाओं में रहता है। बात करें अस्पताल के अंदरूनी ढांचे से लेकर सुविधाओं की तो सुविधाओं के मामलों में टांडा अस्पताल पूरी तरह से चरमराया हुआ है।

टांडा अस्पताल में प्रदेश सरकार द्वारा दी गई स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल टांडा अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए साथ आए तामीरदारों ने उस समय खोली जब आपातकालीन वार्ड में कोई भी बड़ा डॉ मरीजों के इलाज के लिए अपनी ड्यूटी के समय मौजूद नहीं था। इस दौरान इलाज के लिए टांडा अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में पहुंचे लोगों में से पंकज कुमार पंकू ने व्यवस्थाओं कि पोल खोलते हुए बताया कि वार्ड में हम पिछले 1 घंटे से डॉ का इंतजार कर रहे हैं लेकिन डॉ अभी तक नहीं आया है। जब उनके द्वारा ड्यूटी पर तैनात अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों से पुछा गया तो उनके द्वारा कहा गया कि डॉ अभी कुछ देर में आएंगे।

 

 

साथ ही वहां मौजूद एक अन्य मरीज़ के साथ आए हुए तामिरदार ने बताया कि यहां पर ट्रेनिंग कर रहे प्रशिक्षु डॉ की ड्यूटी लगा दी गयी है जोकि इलाज के लिए अपने सीनियर को फोन पर और व्हाट्सऐप के माध्यम से मरीजों के इलाज के लिए पूछ रहे हैं और घंटो बाद उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से ही मरीज के आगामी उपचार के बारे में सूचना मिल रही है। इस कारण प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल टांडा मेडिकल कॉलेज में मृत्यु का ग्राफ भी बढ़ रहा है। अगर इस दौरान किसी मरीज को कुछ हो जाए, मरीज़ को सही इलाज या सही तरीके और सही समय पर इलाज ना मिलने पर मरीज़ की मृत्यु हो जाती है तो उसका जिम्मेवार कोन होगा?

उन्होंने मीडिया के माध्यम से प्रदेश सरकार से प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं व डॉक्टर के कपड़ों के रंगों में विविधता लाने की मांग रखी है जिससे कि मरीज व उनके साथ आए तामीरदार व्यक्तियों को डॉक्टर के बारे में पहचानने में आसानी हो सके। अक्सर यह देखा जाता है कि प्रशिक्षण छात्र-छात्राएं वह डॉक्टर के कपड़े सफेद रंग के होते है जिस से मरीज व साथ आए व्यक्ति डॉक्टर और प्रक्षिक्षु छात्रों में अंतर नहीं लगा पाते हैं।

उन्होंने व्यवस्थाओं के बारे में आगे बोलते हुए बताया कि मरीजों को डॉक्टरों द्वारा लिखे गए टेस्ट करवाने के लिए अस्पताल के बाहर एकमात्र लैब में जाना पड़ता है। जिस पर डॉक्टरों की भी मिलीभगत हो सकती है व मरीजों को अधिक पैसा देने पर मजबूर होना पड़ रहा है। चार जिलों का एकमात्र अस्पताल होने के बाद भी लोगों के यहां व्यवस्थाएं न के बराबर हैं।

हरिंदर सिंह ने बताया कि वह पेशे से टैक्सी ड्राइवर है और मरीजों को लेकर आते रहते हैं। यहां अक्सर लोगों के मोबाइल चोरी होते हैं जिससे मरीजों व उनके साथ आए लोगों को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। आए दिन मरीजों व उनके साथ हर व्यक्ति के मोबाइल अस्पताल में चोरी होते हैं लेकिन अस्पताल का प्रबंधन अब तक किसी भी चोरी का पता नहीं लगा पाया है। अबतक किसी भी प्रकार के कैमरे टांडा अस्पताल में लोगों को सुविधा देने के काम नहीं आएं हैं। शौचालय की हालत भी टांडा अस्पताल में दयनीय है। जगह जगह से शौचालय के दीवारों में से पानी का रिसाव हो रहा है कई शौचालय में तो दरवाजे तक नहीं है।

उन्होंने सरकार व प्रशासन से टांडा अस्पताल की स्थिति सुधारने व सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर कैमरे लगवाने का आह्वान किया है। अस्पताल में एमरजैंसी के बाहर लगी लिफ्ट भी मरीजों के लिए बंद पड़ी है। जोकि व्यवस्थाओं की दृष्टि से बेहद शर्मनाक है।