मंदिर निर्माण करते समय भूमि खुदाई में मिली शनि देव की मूर्ति

सुरेन्द्र जम्वाल। बिलासपुर

जहां आस्था होती है वहां भगवान दर्शन दे ही देते है ऐसा ही वाक्य बिलासपुर जिलां के अंतर्गत आने वाली गतवाड़ पंचायत के अंतर्गत वाले गांव लेठवी गांव मे पंडित हेमराज शर्मा अपने घर के पास शनि देव मंदिर का निर्माण कर रहे थे, तभी खुदाई के समय शनि देव की शिला निकली लेठवी गांव के पंडित हेमराज शर्मा आजकल शनिदेव मंदिर का निर्माण कार्य करवा रहे है, निर्माण कार्य में लगे मजदूरो का कहना है कि वह दो वर्षों से यहां कार्य कर रहे है और जब से मन्दिर निर्माण कार्य मे लगे है तब से उन्हें रात को सोते समय अजीब स्वपन हो रहे है जिसके चलते उन्होंने कारीगरों को शीघ्र मंदिर निर्माण करने की बात कही। उन्होंने कार्य मे लगे कारीगर विश्वानाथ महाराणा जो कि उड़ीसा राज्य से संबध रखते है और पूरे देश मे मंदिर निर्माण का कार्य करते है।

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उन्होंने बताया कि उन्हें रात को कभी कन्या रूप में देवी दर्शन, जोत, कभी सांप व नव ग्रह दिखते है और जब से यहाँ मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हुआ तभी से यहां भी इस जगह एक अलौकिक शक्ति का आभास हुआ ,और जिस दिन काम पर यहां जेसीबी मशीन लगी हुई थी उस दिन यहां साँप निकला था और पंद्रह दिनों के बाद यहां दोबारा सांप निकला और यह सांप वही निकला था जहां यह शिला निकली है पूजा अर्चना करने के बाद वह सांप यहां से चला गया था। हेमराज शर्मा का कहना है कि जब से उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया है तब से अजीब घटनाए घटित हो रही है। उन्होंने बताया कि जब खुदाई करते हुए।

उन्होंने मुख्य द्वार पर एक गुफा सी दिखी और जब उसमे और खुदाई की गई तो उसमें एक शिला दिखाई दी जब और गहरा किया गया तो यह शिला निकली है इस शिला को जब साफ किया तो इसमे से काले रंग का पानी निकला। मान्यता के अनुसार शिंगणापुर में भी जब शनि शिला प्रकट हुए थी तो मामा भांजा के दौरा ही उसे स्थापित किया गया था । ऐसा ही वाक्य यहां देखने को मिला।क्योंकि जब यह शिला यहां दिखी तो केवल पंडित हेमराज व उनके भांजे रमण ही यहां उपस्थित थे,पता चलने पर कुछ लोग भी आ गए परतुं ये शिला किसी के दौरा नही उठाई जा रही थी। लेकिन जब हेमराज शर्मा और उनके भांजे रमण कुमार ने यह शिला उठाई तो यह पुष्प की तरह उठ गई और उसे मंदिर में स्थापित कर दिया गया। हेमराज शर्मा ने बताया कि उनके बुजुर्ग भी काफी समय से शनि महाराज का पूजन कर रहे है और यह प्रथा अब तक चली आ रही है।