द्रोणाचार्य कॉलेज में गीता जयंती का पर्व भव्य रूप से मनाया गया

सभी बच्चों को गीता जयंती की बधाई व शुभकामनाएं दी

The festival of Gita Jayanti was grandly celebrated at Dronacharya College
द्रोणाचार्य कॉलेज में गीता जयंती का पर्व भव्य रूप से मनाया गया

कांगड़ाः द्रोणाचार्य शिक्षण स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रैत में संजीवनी क्लब के सौजन्य से गीता जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई। इसमें बीएड, बीबी, एबीसी, के विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में स्वामी प्रेमानंद, महाराज पीठाधीश्वर परौर पालमपुर ने मुख्ययातिथि के रूप में शिरकत की कार्यक्रम की शुरुआत भगवती सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर की गई।

बीएड के विद्यार्थियों ने गीता की प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया वहीं भजनों के द्वारा सभा भक्तिमय हो गई। इसके बाद अंतर सदनीय भाषण प्रतियोगिता करवाई गई। जिसमें अनिता और सुनाली क्रमशः राधाकृष्णन और विवेकानंद सदन प्रथम रहे और श्लोक वंदना टैगौर सदन रहा। वहीं प्राचार्या डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा ने मुख्यतिथि व आए हुए समस्त अतिथियों का स्वागत किया।

सहायक आचार्य राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला कैलाश शास्त्री ने कहा कि सभी उपनिषदों का सार है। उन्होंने कहा कि यह मात्र किताब नही है, उन्होंने कहा कि वह ज्ञान है, उन्होंने कहा कि संतों की वजह से यह धरती सम्भली है जो इस ज्ञान को बांट रहे हैं। इसके वाद उन्होंने गीता के बारे में बताया।

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मुख्ययातिथि स्वामी प्रेमानंद महाराज पीठाधीश्वर परौर पालमपुर ने कहा कि श्रीमद्भगवतगीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है। श्रीकृष्ण भगवान के उपदेश रूपी विचारों से मनुष्य को उचित बोध कि प्राप्ति होती है। यह आत्म तत्व का निर्धारण करता है, उसकी प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

एवं इस दिव्य ज्ञान की प्राप्ति से अनेक विकारों से मुक्त हुआ जा सकता है। उन्होंने आत्मा के बारे में विस्तार से बताया और सद्गुणों के बारे में बताया। उन्होंने गीता को आंतरिक मनोरंजन कहा। उन्होंने कहा भगवान हमारे अंदर हैं उसे खोजने की आवश्यकता है।

वहीं महाविद्यलाय कार्यकारी निदेशक डॉ. बीएस पठानिया, ने कहा कि माता सरस्वती आपके अंग संग है। हम अपने लक्ष्य को कठिन परिश्रम और मेहनत से प्राप्त कर सकते है कर्म के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। गीता अत्यंत सरल और सरल श्लोकों में आध्यात्मिक चिंतन के साथ-साथ लोक-व्यवहार के निर्देश प्रस्तुत करने वाली एक ऐसी लघु पुस्तिका है, जो तनावरहित जीवन जीने की कला सिखाती है।

जीवन-मृत्यु के चक्र का स्पष्टीकरण देती है, ईश्वर के प्रति अपने-अपने तरीके से निष्ठा रखने का मंत्र देती है। अंत में उन्होंने सभी बच्चों को गीता जयंती की बधाई व शुभकामनाएं दी और सभी का धन्यवाद किया ।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रबंधक निदेशक जीएस पठानिया, कार्यकारिणी निदेशक बीएस. पठानिया, प्रधानाचार्य डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा, सहायक आचार्य राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला कैलाश शास्त्री शर्मा, विभागाध्यक्ष सुमित शर्मा, डॉ. अश्वनी, एचओडी राजेश राणा सहित समस्त अध्यापक वर्ग एवं सभी अतिथिगण उपस्थित रहे।

संवाददाताः कांगड़ा ब्यूरो।

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