शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार को जिला सिरमौर की तहसील शिलाई के तहत 60 वर्ष पहले शिलाई-नया गट्टा-मंडवाच सड़क के लिए प्रयोग की गई भूमि का मुआवजा याचिकाकर्ता भू-मालिकों को अदा करना होगा। प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार की अपील को खारिज करते हुए कहा कि सरकार देरी के आधार पर मुआवजा देने से इन्कार नहीं कर सकती।
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न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंदर सिंह की खंडपीठ ने पाया कि इस सड़क के लिए प्रयोग की गई भूमि का मुआवजा नहीं दिया गया था इसलिए याचिकाकर्ताओं को मुआवजा राशि की मांग को लेकर कोर्ट में आना पड़ा। हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष भी वही दलीलें दी गई, जो खंडपीठ के समक्ष दी गई थीं।
एकल पीठ ने कानून के सभी पहलुओं को देखते हुए प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह याचिकाकर्ताओं की भूमि का कानून के अनुसार अधिग्रहण करे और उन्हें उचित मुआवजा राशि अदा करे। सरकार ने एकल पीठ के इस फैसले को अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया।