आईपीएल नीलामी में भारत की होनहार बेटियों के लिए बिकी शब्द शर्मसारः कुंगा डेचन

The word shame for India's promising girls sold in IPL auction: Kunga Dechan
आईपीएल नीलामी में भारत की होनहार बेटियों के लिए बिकी शब्द शर्मसारः कुंगा डेचन

उज्जवल हिमाचल। शिमला
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् हिमाचल प्रदेश के प्रदेश सह मंत्री कुंगा डेचन ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि जब हमने दो दिन पहले न्यूज पेपर पढ़ा तो पढ़ते-पढ़ते सोचने लगी। सोचते-सोचते सिर शर्म से झुक गया। उसमें एक भारत को शर्मसार करने वाली खबर लगी थी।

कुंगा डेचन ने कहा कि वह खबर थी कि आईपीएल नीलामी में भारत की कोई बेटी सबसे अधिक डेढ़ करोड़ में बिकी, कोई बेटी 40 लाख रुपए में बिकी, कोई बेटी नीलामी में बहुत सस्ती बिकी और कोई बेटी बहुत महंगी बिकी। आईपीएल खेलों के लिए इसी प्रकार हर वर्ष नीलामी लगती है और देश के बहादुर खिलाड़ी खरीदे और बेचे जाते हैं, ऐसा उस अखबार में खबर लगी हुई थी।
सिर शर्म से झुक गया और सोचने लगी कि आज यहां हमारा देश जी 20 का नेतृत्व कर रहा है। वहीं आज हमारे खिलाड़ियों को इस प्रकार की शब्दावली प्रयोग करके उनका मनोबल गिराने का काम व शर्मसार करने का काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सचाई यह है कि उस अर्थ में ना तो कोई नीलामी होती है और ना ही कोई खरीदा व बेचा जाता है वास्तव में कोई संस्था खेलने के लिए किसी खिलाड़ी को धन से सम्मानित करती है। खिलाड़ी की प्रतिभा को देखते हुए उसको संस्था की ओर से खेलने के लिए उसको धन से सम्मानित किया जाता है।

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अच्छे खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए संस्थाओं का आपस में मुकाबला होता है। उन्होंने कहा कि भाषाएं इतनी दिवालिया नहीं हुई है कि इस गौरवपूर्ण कार्य के लिए अच्छे शब्द ही ना मिले। नीलामी में खिलाड़ियों का लाखों-करोड़ों में खरीदा और बेचा जाना क्यों लिखा जाता है, पशु और वस्तुएं खरीदी और बेची जाती है।

ऐसे भारत में कभी-कभी नेताओं की भी नीलामी होती है कि वह खरीदे और बेचे जाते हैं। परंतु इन्हीं शब्दों का प्रयोग भारत के बहादुर खिलाड़ियों के लिए बिल्कुल प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। भारत के खिलाड़ियों को भी इन शब्दों के प्रयोग का विरोध करना चाहिए।

उन्होंने भारत सरकार के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से व मीडिया से कहा की। हमारे देश के बहादुर खिलाड़ियों के लिए खरीदे व बेचे जैसे शब्दों का प्रयोग ना किया जाए और खिलाड़ी किसी संस्था के लिए खेलते हैं और हमारे देश का नाम रोशन करते हैं।

खिलाड़ियों को खेलने के लिए संस्थाएं लाखों करोड़ों से सम्मानित करती है। उन्होंने खिलाड़ियों से भी आग्रह किया है कि भविष्य में अगर कोई ऐसी घटना देखने को मिलती है, तो उसका विरोध करें। यह शब्दावली बिल्कुल भी ठीक नहीं है।

हम खेलते हैं अपने देश के लिए और अगर कोई संस्था हमें खेलने के लिए धन से सम्मानित करती है। तो हम अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर आने वाले समय में कोई ऐसी घटना देखने को मिलती है, तो विद्यार्थी परिषद इसके लिए उग्र आंदोलन करेगी।

संवाददाताः ब्यूरो शिमला

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