GOOGLE से तेज इस बालक ने किया कांगड़ा का नाम रोशन

हर्षिल ने कलाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाकर नया रिकॉर्ड बनाया

This boy brightened up the name of Kangra faster than GOOGLE
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा का गूगल बॉय हर सवाल का जबाव चंद सेकेंड में देता है, देहरा की कल्लर पंचायत के लछूँ गांव के हर्षिल ने कलाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाकर नया रिकॉर्ड बनाया है

देहराः देहरा की कल्लर पंचायत के लछूँ गांव के हर्षिल ने कलाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाकर नया रिकॉर्ड बनाया है, देहरा की कल्लर पंचायत के लछूँ गांव के हर्षिल ने कलाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाकर नया रिकॉर्ड बनाया है। पिता अंकुश पठानिया ने हर्षिल की इस उपलब्धि का पूरा श्रेय उसकी मां रिशु परमार को दिया है, उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि हमारे बेटे ने छोटी सी उम्र में विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है, उन्होंने कहा कि वह चंडीगढ़ में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, जिस वजह हर्षिल को ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं।

देहरा, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा का गूगल बॉय हर सवाल का जबाव चंद सेकेंड में देता है, देहरा की कल्लर पंचायत के लछूँ गांव के हर्षिल ने कलाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाकर नया रिकॉर्ड बनाया है, हर्षिल पठानिया ने विश्व के 150 ऐतिहासिक इमारतों या भवनों के नाम और 265 विश्व ध्वजों की पहचान 7 मिनट और 15 सेकंड में की, 4 बर्षीय हर्षिल पठानिया एसआईएस पब्लिक स्कूल मोहाली में नर्सरी कक्षा में पढ़ता है, हर्षिल पठानिया पिछले वर्ष इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्डस में भी अपना नाम दर्ज करा चुका है, जिसके लिए उसे प्रमाणपत्र भी मिला है, पूरे क्षेत्र के लोग इस बच्चे की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं, वहीं, हर्षिल के घर बधाइयों का सिलसिला भी जारी है।

हर्षिल पठानिया के माता-पिता अंकुश और रिशु परमार ने बताया कि हर्षिल को इस उम्र में ही एक बार पढ़ने से ही सब याद हो जाता है, सामान्य ज्ञान, राष्ट्रीय चिन्ह, दुनिया के सात अजूबों के नाम, सप्ताह और महीनों के नाम, ग्रह और बोने ग्रहों के नाम, महासागरों के नाम, ऐतिहासिक भवनों के नाम, भारत के सभी राज्यों की राजधानियां, केंद्रीय शासित राज्यों के नाम, इंटरनेट लोगों, 185 देशों की राजधानियां, विश्व के 195 देशों के झंडे और 31 आईलैंड के झंडों की पहचान, कार कंपनी लोगांं, भारत और विश्व के नक्शे की पहचान कर सकता है, वह भारत के मानचित्र को समझता है, सभी भारतीय राज्यों और उनकी राजधानियां उसे जुबानी याद हैं।

पिता अंकुश पठानिया ने हर्षिल की इस उपलब्धि का पूरा श्रेय उसकी मां रिशु परमार को दिया है, उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि हमारे बेटे ने छोटी सी उम्र में विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है, उन्होंने कहा कि वह चंडीगढ़ में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, जिस वजह हर्षिल को ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं, हर्षिल ज्यादा समय अपनी मां के साथ ही बिताता है, उसकी मां बच्चे को यह सब सिखाने में मदद करती है, अपने गांव बनखंडी पहुंचने पर हर्षिल पठानिया के परिवार ने मां बगलामुखी के दरवार में माथा टेका और इस अवार्ड के लिए मां का धन्यावाद किया, मौके पर महंतनी राज कुमारी ने भी हर्षिल को सम्मानित किया।

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