मंडी: गेहूं पर मौसम की मार, फसल हो रही तार-तार, किसान दिख रहे लाचार

गेहूं की फसल का 20 प्रतिशत उत्पादन कम होने का अनुमान

उज्जवल हिमाचल। मंडी

गेहूं की बीजाई के लिए जिस वक्त बारिश की जरूरत थी, उस वक्त बारिश हुई नहीं और अब जब थोड़ी बहुत फसल पककर तैयार हो रही है तो उस बेमौसमी बारिश (unseasonal rain) कहर बनकर टूट रही है। मंडी जिला के किसान इस बार मौसम की बेरूखी से खासे परेशान नजर आ रहे हैं। जिला की बल्द्वाड़ा तहसील के किसानों ने बताया कि मौसम की बेरूखी के कारण उनकी फसल की सही पैदावार नहीं हो पाई है।

बीजाई के समय सूखे की मार पड़ी रही और जब बारिश की जरूरत नहीं, तब बारिश हो रही है। वहीं, किसान क्षेत्र में आवारा जानवरों के आतंक को भी फसल बर्बादी के लिए जिम्मेदार मानते हैं। कुछ किसानों का कहना है कि इस बार उन्हें लागत भी प्राप्त नहीं हो पाएगी। किसानों ने सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है।

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कृषि विभाग के उपनिदेशक राजेश डोगरा ने बताया कि मौसम की मार (weather storm) के कारण जिला में अभी तक 7 करोड़ 55 लाख के नुकसान का आंकलन किया जा चुका है। जिला में 62 हजार हैक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल की बीजाई की जाती है जिससे 1 लाख 15 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन का होता है। इस वर्ष 1 लाख 8 हजार 750 मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।

6250 मीट्रिक टन का उत्पादन कम होने का आंकलन किया गया है जोकि 20 प्रतिशत के करीब है। राजेश डोगरा ने बताया कि फसल बीजाई के समय बारिश नहीं हुई और अब जब फसल पककर तैयार हुई है तो फिर से बारिश और ओलावृष्टि (hailstorm) के कारण फसल को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने किसानों से ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने का सुझाव दिया है।

संवाददाताः उमेश भारद्वाज

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