IRDP से निकाला विधवा का परिवार, दर-दर भटकने को मजबूर

पंकज शर्मा। ज्वालामुखी

ज्वालामुखी उपमंड़ल की पंचायत कमलोटा जहां विधवा पुष्पा अपने परिवार के साथ पंचायत, मिनी सचिवालय के चक्कर काट कर थक गई है और दर दर भटकने को मजबूर है। सीएम हेल्पलाइन से भी विधवा को कोई उम्मीद की किरण नजर नही आई। विधवा पुष्पा के सिर से पति का साया 2007 में ही उठ गया था। 4 बेटियों व एक बेटे को लेकर दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए पुष्पा दिन-रात मेहनत मजदूरी करती रही। दो लड़कियों की शादी गांव वालों ने मिलकर जैसे तैसे कर दी, लेकिन अब भी दो बेटियां और एक बेटा घर में है और उनके लिए मुश्किल से खाने का प्रबन्ध हो रहा है।

पुष्पा ने आपबीती बताते हुए बताया कि जनवरी माह में उसके परिवार को आई आर डी पी से भी निकाल दिया गया, उसे डिस्क की समस्या है अब उसे मेहनत मजदूरी भी नहीं हो पाती। उन्हें दो वक्त का खाना भी बडी मुश्किल से मिल रहा है। बच्चों की पढ़ाई व अन्य खर्चे भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं। उसके पास सिर्फ एक कमरा है और उसके ऊपर रसोई बनाई है, इसके अलावा कोई जमीन जायदाद हिस्से में नहीं है। विधवा पेंशन भी तीन माह बाद एक हजार के हिसाब से मिल रही है, पर कोई भी अधिकारी या पंचायत प्रधान बात सुनने के लिए तैयार नहीं है।

पुष्पा ने बताया कि पंचायत से नाम काटने के बाद एसडीएम को पत्र लिखकर दिया गया था पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। वही सीएम हेल्पलाइन पर भी बार-बार फोन करने पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई। पुष्पा ने रो-रो कर कहा कि उसके परिवार को पंचायत में आईआरडीपी में जोड़ दिया जाए ताकि परिवार को भरपेट खाना नसीब हो सके। तीन बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी बुजुर्ग महिला के कंधों पर है। घर की कमजोर हालात के कारण जीवन व्यततीत करना मुश्किल है। यहां तक कि उनके पास शौच जाने के लिए शौचालय भी नहीं है। इस बारे में बीडीओ देहरा डॉ स्वाति गुप्ता का कहना है कि उनके पास अभी ऐसी कोई शिकायत नही है लेकिन जल्द ही इस परिवार को ग्राम सभा की बैठक में आईआरडीपी में जोड़ने का कार्य किया जाएगा।