दिव्यांग के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने पर दोषी को 5 वर्ष का कठोर कारावास

उमेश भारद्वाज। मंडी

जिला एवं सत्र न्यायाधीश मंडी आरके शर्मा की आदालत ने वीरवार को महिला उत्पीड़न को लेकर एक अहम मामले में दोषी को 5 वर्ष के कठोर कारावास तथा जुर्माने की सजा सुनाई है। मामले में दोषी पर चचेरी दिव्यांग बहन के साथ जबरदस्ती दुष्कर्म करने के गंभीर आरोप लगे थे। जानकारी देते हुए जिला न्यायवादी कुलभूषण गौतम ने कहा कि मामले में पीड़िता के भाई ने 18 दिसंबर, 2017 को पीड़िता के साथ जोगिंंद्रनगर थाना में दोषी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।

शिकायतकर्ता के अनुसार पीड़िता दिव्यांग है और उसकी माता का देहांत हो चुका है। शिकायतकर्ता के पिता दिल्ली में ड्राईवर का काम करते हैं और शिकायतकर्ता भी अपने पिता के साथ दिल्ली में रहकर ही पढाई करता है। शिकायतकर्ता के अनुसार पीडिता गांंव में ही किसी रिश्तेदार के पास रहती है। शिकायतकर्ता के अनुसार 17 दिसंबर 2017 की रात को जब पीड़िता के कमरे के पास आया, तो उसने देखा कि पीडिता के कमरे का दरवाजा खुला था।

इसके उपरांत शिकायतकर्ता ने अंदर जाकर देखा कि पीड़िता के रिश्ते में चचरा भाई उसके साथ जबरदस्ती दुष्कर्म कर रहा है। वहीं, शिकायतकर्ता द्वारा मामले की सूचना जोगिंद्रनगर थाना को दी गई। मामले में जोगिंद्रनगर थाना के एएसआई केहर सिंह ने अमल में लाई गई और छानबीन करने के बाद मामले में पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दायर किया। कुलभूषण गौतम ने कहा कि अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी उप जिला न्यायवादी चानन सिंह और उसके बाद उप जिला न्यायवादी विनय वर्मा ने की।

अभियोजन पक्ष ने दर्ज करवाए 19 गवाहों के बयान
कुलभूषण गौतम ने कहा कि मामले में अभियोजन पक्ष ने अदालत में 19 गवाहों के बयान कलमबंद करवाए गए। उन्होंने कहा कि अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने दोषी द्वारा पीड़िता के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास का दोष सिद्ध होने पर दीपक पुत्र बनी चंद निवासी गांंव गवाला डाकघर लड़भड़ोल जिला मंडी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 व 511 के तहत 5 साल का कठोर कारावास और 15 हजार रुपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई।

वहीं, अदालत द्वारा दोषी को जुर्माना अदा न करने की सूरत में एक वर्ष के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भी सुनाई गई। कुलभूषण गौतम ने कहा कि जुर्माने की राशी यदि वसूली जाती है, तो यह राशी भी पीड़िता को मुआवजे के रूप में प्रदान करने और यौन दुर्व्यवहार के समय पीड़िता की उम्र और अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दंड प्रक्रिया सहिंता की धारा 357(ए) के तहत मुआवजे के लिए जिला विधिक प्राधिकरण मंडी से भी सिफारिश की गई है।