प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती छंटनी मामले में धांधली के आरोप

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो। शिमला

 

  • नियम के खिलाफ चयन प्रक्रिया में स्क्रूटनी के दौरान आवेदकों के रिश्तेदारों को बना दिया पैनलिस्ट
  • एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर ने की मामले की न्यायिक जांच करवाने की मांग

एनएसयूआई राज्य इकाई ने शिमला स्थित प्रदेश मुख्यालय में प्रेस वार्ता आयोजित कर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में चल रही शिक्षक भर्तियों में धांधली होने के आरोप लगाए है। प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान इंटरव्यू से पहले आवेदकों की छंटनी के लिए उनके रिश्तेदार प्रोफेसरों और कार्यकरी परिषद के सदस्यों को स्क्रूटनी पैनल में बैठा दिया जो कि नियमों के खिलाफ है। नियमों के अनुसार किसी भी भर्ती प्रक्रिया के दौरान किसी भी अधिकारी या शिक्षक का कोई भी रिश्तेदार अगर आवेदन करता है तो ऐसे में वो इस भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा बिल्कुल भी नहीं बन सकता।

छत्तर ठाकुर ने आरोप लगाते हुए कहा कि विवि प्रशासन ने अपने चहेते लोगों को अंदर करने के लिए सभी नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। एनएसयूआई ने आरोप लगाते हुए यहां तक कह कि स्क्रूटनी में पिता पुत्र और पति पत्नी जैसे ब्लड रिलेशन एवं नज़दीकी रिश्तेदारों को भी बैठाया गया है। इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए एनएसयूआई ने कुलपति सिकंदर कुमार और छंटनी कमेटी के चेयरमैन डीएस अरविंद कालिया के इस्तीफे की मांग की है। इसके साथ ही इस मामले को लेकर प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर और संगठन महासचिव मनोज चौहान ने सरकार से न्यायिक जांच की भी मांग की है।

एनएसयूआई के प्रदेश संगठन महासचिव मनोज चौहान ने दिसंबर 2019 में विवि द्वारा जारी शिक्षक भर्ती विज्ञप्ति जिसकी वैधता दिसंबर 2020 में समाप्त हो चुकी है उसे भी री-एडवर्टाइज़ करने की मांग की है। विश्वविद्यालय द्वारा इस विज्ञप्ति की वैधता को अगले छह महीनों के लिए बड़ा दिया गया है जबकि एनएसयूआई के कहना है कि इस एक साल के बीच हज़ारो छात्र व युवा उम्मीदवारों ने इन पदों के लिए अपनी योग्यता पूरी कर ली है और भविष्य में उन्हें इन प्रतिष्ठित पदों के लिए आवेदन करने का मौका मिले न मीले ऐसे में इन पदों को नियमानुसार री-एडवर्टाइज़ कर सभी को आवेदन करने का समान मौका दिया जाना चाहिए।


एनएसयूआई के पदाधिकारियों ने चेताया कि भर्तियों में हो रही धांधलियों की न्यायिक जांच शुरू न करने पर प्रदेशभर में आंदोलन के साथ साथ मुख्यमंत्री का घेराव किया जाएगा।