कृषि शिक्षा में नवाचार के लिए अपनाएं मिश्रित शिक्षण दृष्टिकोण : डॉ. वत्स

उज्ज्वल हिमाचल। पालमपुर
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में बुधवार को चौधरी सरवण कुमार के द्वारा कैरियर विकास केंद्रों (सीडीसी), राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान शिक्षा प्रणाली और मिश्रित शिक्षण मंच (बीएलपी) की स्थिरता पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। बतौर मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. डी.के.वत्स ने अपने उद्घाटन भाषण में सार्थक करियर रास्तों को तराशने और कृषि क्षेत्र के तेज गति से विकास के लिए करियर विकास केंद्रों को गतिशील केंद्र बनाने का आह्वान किया। ये प्रतिभाओं को पोषित करने और भविष्य की कृषि के लिए नेता तैयार करने में मदद करते हैं।

उन्होंने कृषि शिक्षा में नवाचार के लिए मिश्रित शिक्षण दृष्टिकोण को अपनाने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि यह तेजी से बदलते कृषि परिदृश्य की जटिलताओं के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए लचीला, समावेशी और अनुकूली दृष्टिकोण है। कुलपति ने सीडीसी और बीएलपी को उच्च शिक्षा के मजबूत स्तंभ कहा। उन्होंने कहा कि छात्रों के साथ नियमित रूप से बातचीत करके उन्हें अनुकूल और उत्कृष्ट वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए। चूंकि पूर्व छात्र अपने संस्थान के विकास के लिए धन उपलब्ध कराने और छात्रों को करियर विकास में व्यावहारिक परामर्श देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, इसलिए उन्हें सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।

भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के प्रमुख डॉ सुदीप मारवाहा ने कहा कि ब्लेंडेड लर्निंग प्लेटफॉर्म को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया गया है। शैक्षणिक प्रबंधन प्रणाली सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए आवश्यक है और उन्हें बीएलपी और अन्य शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए इसे अपनाना होगा। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (एनएएआरएम), हैदराबाद के सह प्रधान अन्वेषक डा. एस.के. सोन ने सीडीसी के बारे में बोलते हुए कहा कि पूर्व छात्रों के डेटा को मजबूत करने, शिक्षकों को प्रेरित करने और वैश्विक सर्वाेत्तम प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है।

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उन्होंने कहा कि सीडीसी ने अब तक पच्चीस हजार छात्रों को प्रशिक्षित किया है। सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के डीन डॉ वाई.एस. धालीवाल ने कहा कि सीडीसी शैक्षणिक उत्कृष्टता और व्यावहारिक अनुप्रयोग के बीच एक पुल के रूप में कार्य करता है। बीएलपी पारंपरिक शिक्षण विधियों और प्रौद्योगिकी की शक्ति को एकीकृत करता है।

डॉ जी.सी.नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. रवींद्र कुमार, छात्र कल्याण अधिकारी डॉ आर.एस. चंदेल और डॉ पी.सी. शर्मा ने भी कार्यशाला के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। मेजबान विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी और भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यशाला में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के लगभग तीन दर्जन अधिष्ठाता, निदेशक और वरिष्ठ संकाय सदस्यों ने भाग लिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संविधिक अधिकारी और वैज्ञानिक भी मौजूद रहे।

ब्यूरो रिपोर्ट  पालमपुर

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