अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखने के बाद आखिर क्याें उड़े युवक के हाेश, जानें

विनय महाजन। नूरपुर

जसूर क्षेत्र के निवासी अनुराग ने जब अपनी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखी, तो उसके होश उड़ गए, क्योंकि जब किसी पुरुष व्यक्ति को अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में यह बता दिया जाए कि आप के गर्भाशय व ओवरी (अंडाशय ) जैसे अंग कैसा कार्य कर रहे हैं तथा शरीर में इनकी स्थिति किस प्रकार है। ऐसे में पुरुष व्यक्ति का होश उड़ना संभव है। क्योंकि यह दोनों ही विशेष अंग बच्चादानी व ओवरी  महिलाओं में होते हैं। अनुराग ने जब जसूर क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में उक्त हस्पताल से अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के बाद यह जानना चाहा कि उसके पुरुष शरीर में बच्चादानी व ओवरी कहां से आ गए।

इस प्रकरण में अस्पताल के प्रभारी सुभाष को अपनी गलती का एहसास हुआ, तब उन्होंने कहा कि ऐसा कंप्यूटर रिपोर्ट बनाने की गलती से हुआ है, लेकिन अनुराग के गले में अल्ट्रासाउंड करने वाले अस्पताल की सफाई इसलिए गले नहीं उतर रहे। क्योंकि उसका कहना है कि कंप्यूटर कर्मी सदैव वही रिपोर्ट बनाता है, जो उसे रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर मरीज के शरीर की जांच के बाद बताता है। अनुराग के लिए  उसके शरीर के बारे में बाकी रिपोर्टों पर भी अब सच्चाई करना अविश्वसनीय बनकर रह गया हैं।

अधिकांश सरकारी अस्पतालों में इस प्रकार की घटनाएं सुनने में मिलती थी तथा लोग इसी कारण ज्यादा फीस अदा कर निजी अस्पतालों में जाया करते हैं, लेकिन इस घटना के बाद निजी हस्पतालों में अल्ट्रासाउंड करवाने पर भी प्रश्न चिन्ह लग कर रह गए हैं। गौरतलब है कि नूरपुर अस्पताल में गत 4 वर्षों से अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ न होने के चलते लोग निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए मजबूर हैं। उल्लेखनीय है कि अब तो जिला कांगड़ा के क्षेत्र नूरपुर जवाली फतेहपुर इंदाैरा क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों से रोजाना भारी तदाद में अल्ट्रासाउंड के लिए निजी अस्पतालों के भेजे जा रहे हैं।

वहीं, कुछ दिन पहले नूरपुर के सरकारी अस्पताल की पोल उस समय खुल गई, जब भटियात विधानसभा क्षेत्र की मनहूता पंचायत के निवासी मृतक काकाराम के बेटे सतोष कुमार ने हैरानी जताई कि उसके पिता की मृत्यु के पश्चात सरकारी अस्पताल की स्कैन मशीन कैसे ठीक हो गई, जब मेरे पिता का सिटी स्कैन होना था, उस समय मशीन अस्पताल की खराब बता दी गई। प्रदेश के सेहत मंत्री को आखिर इस विषय में क्यों टिप्पणी करनी पड़ी, अगर मशीन ठीक थी, तो फिर क्यों नहीं हुआ सिटी स्कैन।

गुप्तचर विभाग में इसकी पूरी जानकारी है कि सरकारी अस्पतालों मे आने वाले मरीजों को प्राइवेट संस्थानों में अनेक परीक्षण व अल्ट्रा साउंड व सिटी स्कैन के लिए जसूर व चककी पार भेजते हैं। इतना ही नहीं सरकार बदले चार वर्ष होने को है। अस्पतालों के डॉक्टर आप्रेशन के लिए चक्की पार पठानकोट में भेजते है तथा एक सरकारी डाक्टर ने तो कांग्रेस शासन की तरह भाजपा सरकार में भी ऐसा कारोबार निर्भीक होकर चलाया हुआ है। अस्पतालों में कुछ डॉक्टरों की ऐसी कार्रवाई की रिपोर्ट केंद्र व राज्य सरकार की खुफिया एजेंसियों के पास मौजूद है।