IIT मंडी और DDMA कांगड़ा के बीच हुआ करार, लगेंगे भूस्खलन अलर्ट यूनिट अर्ली वा‌र्निंग सिस्टम

उमेश भारद्वाज। मंडी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कांगड़ा के साथ एक सहमति करार पर हस्ताक्षर किए हैं। करार की अवधि पांच साल है और दोनों पक्ष आपसी सहमति से इसे बढ़ा सकते हैं। इस करार का उद्देश्य कुछ खास साइटों पर 10 भूस्खलन निगरानी और आरंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) विकसित और स्थापित करना है। विभिन्न साइटों के दौरों और इनका इनएसएआर-आधारित विश्लेषण और जिला प्रशासन की पुष्टि के आधार पर यह प्रणाली स्थापित की जाएगी। इससे मशीन लर्निंग प्रक्रिया विकसित करने में भी मदद मिलेगी ताकि पूर्वानुमान के साथ चेतावनी देने के लिए इनसार-आधारित और ईडब्ल्यूएस-आधारित परिणामों के पूर्वानुमान मिलना आसान हो।

बता दें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर में मंडी दौरे के दौरान भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली की समीक्षा की थी। वहीं हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर भी भूस्खलन के जोखिम से सुरक्षा पर विमर्श के लिए आईआईटी मंडी के दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने आईआईटी मंडी के साथ हिमाचल प्रदेश सरकार आपसी सहयोग से राज्य में भूस्खलन रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस करार पर हस्ताक्षर आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा और डॉ. निपुण जिंदल उपायुक्त जिला कांगड़ा ने किए।

इस अवसर पर डॉ. कला वेंकट काला, सहायक प्रोफेसर, आईआईटी मंडी और रोहित राठौर, एचएएस, एडीएम कांगड़ा, अतिरिक्त जिलाधिकारी, कांगड़ा एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इस करार पर आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्था मंडी का मिशन समाज की समस्याओं को दूर करना है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट से आईआईटी मंडी के जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कांगड़ा के साथ काम करते हुए हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की समस्याओं को दूर करने में मदद करेंगे।