आंगनबाड़ी वर्कर्ज की मांग प्री प्राइमरी कक्षाओं में लगाया जाए टीचर्ज

यूनियन ने सरकार को चेताया, बजट सत्र में ऐलान न किया तो करेंगे आंदोलन

उज्जवल हिमाचल। शिमला

आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हेल्पर्ज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य कमेटी द्वारा निदेशक महिला एवम बाल विकास विभाग हिमलैंड शिमला स्थित कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम, यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष नीलम जसवाल,महासचिव वीना देवी,सुमित्रा देवी, हरदेई, मीनाक्षी, राजकुमारी, बिम्बो देवी, हिमिंद्री,मीना देवी,चंपा देवी,बिमला देवी, नीलम, किरण, शशि, स्वर्चा,अनुराधा सहित सैकड़ों आंगनबाड़ी कर्मियों ने भाग लिया। तीन घंटे तक चले धरने के दौरान यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल उप निदेशक महिला एवम बाल विकास विभाग राकेश भारद्वाज जी से मिला व उन्हें मांग-पत्र सौंपा।

यूनियन ने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी वर्करज़ को प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त करने के आदेश जारी न किये तो आंगनबाड़ी कर्मी नौ मार्च को प्रदेशव्यापी हड़ताल करके सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखेंगे व इस दिन प्रदेशभर के हज़ारों आंगनबाड़ी कर्मी बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेंगे। यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष नीलम जसवाल व महासचिव वीना देवी ने केवल आंगनबाड़ी कर्मियों को ही प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त करने की मांग की है क्योंकि छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों की शिक्षा का कार्य पिछले 45 वर्षों से आंगनबाड़ी कर्मी ही कर रहे हैं।

नई शिक्षा नीति को वापस लेने की मांग

उन्होंने कहा है कि प्री प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने की जिम्मेवारी आंगनबाड़ी कर्मियों को देने की घोषणा प्रदेश सरकार बजट सत्र में ही करे अन्यथा हज़ारों कर्मियों द्वारा बजट सत्र में ही सरकार की घेराबंदी की जाएगी। उन्होंने चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी कर्मियों के सिवाए किसी अन्य को प्री प्राइमरी की शिक्षा की जिम्मेवारी दी गयी तो इसके खिलाफ निर्णायक आंदोलन होगा। उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापस लेने की मांग की है क्योंकि यह न केवल छात्र विरोधी है अपितु आइसीडीएस विरोधी भी है। नई शिक्षा नीति में वास्तव में आइसीडीएस के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है। इस से भविष्य में आंगनबाड़ी कर्मियों को रोजग़ार से हाथ धोना पड़ेगा। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2021 के आइसीडीएस बजट में की गई 30 प्रतिशत की कटौती को आंगनबाड़ी कर्मियों के रोजग़ार पर बड़ा हमला करार दिया है। उन्होंने वर्ष 2013 में हुए 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं।

उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए तीन हज़ार रुपये पेंशन,दो लाख रुपये ग्रेच्युटी,मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है। उन्होंने कर्मियों की रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष करने,नई शिक्षा नीति 2020 को खत्म करने,मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को बराबर वेतन देने की मांग की है। उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया है कि वह आईसीडीएस के निजीकरण का ख्याली पुलाव बनाना बंद करे। देश के अंदर चलने वाली सभी योजनाओं से देश की लगभग एक करोड़ महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने हैरानी जताई है कि रोजग़ार में लगी महिलाओं की सबसे ज़्यादा संख्या योजनाकर्मियों के रूप में है व यह सरकार उनका सबसे ज़्यादा आर्थिक शोषण कर रही है। केंद्र सरकार लगातार इन योजनाओं को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है। इस से केंद्र सरकार की महिला सशक्तिकरण व नारी उत्थान के नारों की पोल खुल रही है।

उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 का नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत किये गए कार्य की बकाया राशि का भुगतान तुरन्त करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि प्री प्राइमरी कक्षाओं व नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा केवल आंगनबाड़ी वर्करज़ को दिया जाए क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं। इस संदर्भ में उनकी नियमित नियुक्ति की जाए तथा इसकी एवज़ में उनका वेतन बढ़ाया जाए।