श्रवण कुमार जैसा बेटा खोने के बाद ब्यासा देवी हुई बेसहारा

कैप्टन संजय पराशर देगें बुजुर्ग महिला को मासिक पेंशन

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

विडम्बना क्या होती है, इसे जसवां-परागपुर क्षेत्र की तियामल पंचायत की ब्यासा देवी से ज्यादा कौन जानता होगा। अपने तीन बेटों और पति के खोने के बाद बुजुर्ग महिला निशब्द हो चुकी हैं। दो दिन पहले श्रवण कुमार जैसे बेटे की अकस्मात मौत के बाद बार-बार आमसान की और टकटकी लगाकर देखती हैं।

शायद भगवान से इस बुजुर्ग का यही सवाल होगा कि आखिर उसका कसूर क्या है। खैर, इस दुख की घड़ी में स्थानीय वासी महिला का बराबर ख्याल रख रहे हैं तो मानवीय संवेदनाओं का फर्ज निभाते हुए कैप्टन संजय पराशर ने बुजुर्ग को मासिक पेंशन और दैनिक जरूरतों को पूरा करने की बात कही है।

तियामल गांव के वार्ड नम्बर-तीन के जाेगेन्द्र सिंह की बीते शुक्रवार को हर्ट अटैक के बाद टांडा मेडीकल कॉलेज में मौत हो गई। साठ वर्षीय जोगेन्द्र सिंह से पहले उनके पिता और दो भाई भी दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। सिंह ने इसी कारण शादी नहीं की कि अगर उनका ध्यान घर बसाने में चला गया तो फिर मां का ख्याल कौन रखेगा। सही मायनों में जोगेन्द्र ने पुत्र हाेने का दायित्व शिद्दत से निभाया और दिन-रात 86 वर्षीय मां ब्यासा देवी की सेवा में लगे रहे। बुढ़ापे में बीमारियों से जकड़ी मां के लिए जोगेन्द्र ही खाना बनाते थे और हर सुख-सुविधा का ख्याल रखते थे।

यही कारण था कि सभी गांववासी जोगेन्द्र को सेवादार कहकर बुलाते थे। अब बेटे के जाने के बाद मां ब्यासा बिल्कुल अकेली रह गई है। वृद्धावस्था में बुजुर्ग का गुजारा कैसे होगा, यह अपने आप में यक्ष प्रश्न जैसा है। हालांकि स्थानीय वासियों ने इस विपरित परिस्थिति में बुजुर्ग महिला का हर हाल में मदद करने का भरोसा दिलाया है। गांववासियों सरला देवी, नरेन्द्र, रेशमा देवी, मदन लाल, प्रीतम सिंह और मनु ने बताया कि बुजुर्ग महिला का ख्याल रखा जाएगा।

वहीं, टांडा मेडीकल कॉलेज में शुक्रवार को जोगेन्द्र सिंह का कुशलक्षेम पूछकर आए कैप्टन संजय पराशर ने कहा कि उन्हें जोगेन्द्र के बारे में गांववासियों ने ही बताया था कि बेटे जोगेन्द्र ने अपनी मां के लिए जीवन के सारे सुख त्याग दिए थे। कहा कि आधुनिक युग में श्रवण जैसे बेटे की कल्पना तक करना भी असंभव है। तेजी से बदलते समाज में स्वार्थ हर रिश्ते पर हावी होता दिखाई दे रहा है। बावजूद जोगेन्द्र ने ऐसा उदाहरण दिया, जो अपनी छाप लंबे समय तक छोड़ेगा। लेकिन दुख इस बात का है कि असमय ही उनकी मृत्यु हो गई।

पराशर ने कहा कि बुजुर्ग महिला का दर्द वह जान सकते हैं। ऐसे में उन्होंने निर्णय लिया है कि बुजुर्ग महिला की दैनिक जरूरतों का वह ख्याल रखेंगे। इसके साथ ही वह अपनी तरफ से महिला को पंद्रह सौ रूपए हर महीने पेंशन देगें। ब्यासा देवी को अगर दवाईयों की जरूरत हुई तो उनके घर तक पहुंचाया जाएगा। कहा कि उनकी टीम बुजुर्ग महिला के घर पर नियमित तौर पर भी जाया करेगी ताकि ब्यासा देवी को कोई दिक्कत या परेशानी हो तो समय रहते दूर किया जा सके।