मां जयंती के दरबार में इस दिन से शुरू होंगे भीष्म मेले

उज्ज्वल हिमाचल। कांगड़ा

कांगड़ा के नंदरूल गांव के साथ लगते जयंती माता मंदिर में पांच दिनों तक चलने वाले पंच भीष्म मेलें 23 नवंबर से शुरू हो जाएंगे। इस दौरान जयंती माता मंदिर के दरवाजे दर्शनों के लिए सुबह पांच बजे ही खोल दिए जाएंगे। इस दौरान सुबह से ही लोगों की काफी भीड़ देखने को मिलती है। जो दोपहर तक लगी रहती है। लोग लाइनों में लगकर अपनी बारी का इंतजार जयंती माता के दर्शन करने के लिए करते है।

मंदिर के वरिष्ठ पुजारी नरेश शर्मा ने द्वारा बताया गया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दूर दूर से लोग दर्शनों के लिए आने वाले हैं। करीब 3 किलोमीटर का पैदल मार्ग तय करके लोग मंदिर में दर्शनो के लिए पहुंचते हैं। वैसे तो साल भर मंदिर में लोगों का आना जाना लगा रहता है लेकिन दीपावली के 10 दिन बाद शुरू होने वाले इन पंच भीष्म मेलों के दौरान भारी संख्या में लोग अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं व जयंती माता के दर्शन करते हैं। इसी के साथ 5 दिनों तक लगातार अखंड माता की ज्योत भी यहां जलाई जाती है।

इस साल के मुख्य पुजारी करनेश शर्मा ने बताया कि कहा जाता है कि इस मंदिर को प्राचीन काल में पांडवों द्वारा बनवाया गया था। हर वर्ष यहां पांच दिनों तक पंच भीष्म मेलें लगते है। जिसमें लोग अपनी श्रद्धा अनुसार अपनी मांगे पूरी होने पर व अपनी आस्था से इस मार्ग पर विभिन्न जगहों पर भंडारे लगाते है। लगभग हर आयु वर्ष के लोग इन दिनों यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। पंच भीष्म मेलों के दौरान यहां पुलिस की भी खास व्यवस्था रहती है जिससे लोगो को यहां तक पहुंचने में सुविधा होती है।

जानिए पंच भीष्म के बारे में

भीष्म पंचक, जिसे पंच भीखू के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है जो कार्तिक महीने में होता है। यह 22 नवंबर, 2023 को रात 11:03 बजे शुरू होगा और 27 नवंबर, 2023 को दोपहर 2:45 बजे समाप्त होगा। इस दौरान जयंती माता मंदिर में लगने वाले मेले 23 से 27 नवंबर तक चलेंगे। यह व्रत कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होता है व पूर्णिमा तक चलता है।

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भीष्म पंचक का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्व है। पुराणों तथा हिन्दू धर्म ग्रंथों में कार्तिक माह में “भीष्म पंचक” व्रत का विशेष महत्व कहा गया है। भीष्म पंचक को “पंच भीखू” के नाम से भी जाना जाता है। धर्म ग्रंथो में कार्तिक स्नान को बहुत महत्व दिया गया है। अतः कार्तिक स्नान करने वाले सभी लोग इस व्रत को करते हैं। भीष्म पितामह ने इस व्रत को किया था। इसीलिए यह ‘भीष्म पंचक’ नाम से प्रसिद्ध हुआ।

यह व्रत पूर्व में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति प्रदान करने वाला और कल्याणकारी है। भीष्म पंचक व्रत अति मंगलकारी और पुण्यदायी है जो कोई भी श्रद्धापूर्वक इस व्रत को करता है, उसे मृत्यु पश्चात् उत्तम गति प्राप्त होती है। व्रत रखने वाले सदैव स्वस्थ रहते है तथा उन्हें प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत पूर्व में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति प्रदान करने वाला और कल्याणकारी होता है।

संवाददाताः अंकित वालिया

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