किसानों का विरोध प्रदर्शन, संयुक्त किसान मोर्चा का बड़ा ऐलान

Farmers Protest तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 6 महीने से अधिक समय से किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों की तरफ से ऐलान किया गया है कि 26 जून को देश के सभी राजभवनों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान काले झंडे भी दिखाए जाएंगे।

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

देश में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच, एक बार फिर से किसान आंदोलन को तेज करने की कवायद की जा रही है। इसको लेकर किसान 26 जून को देशभर के राजभवन पर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। किसानों की तरफ से ऐलान किया गया है कि 26 जून को देश के सभी राज्यपालों के घर(राजभवन) के बाहर धरना प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी किसान 26 जून को देश भर में राजभवनों के बाहर प्रदर्शन करेंगे और इस दिन को “खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस” ​​के रूप में मनाएंगे।

किसान 26 जून को आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर राजभवन पर प्रदर्शन करके राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देंगे। इसके लिए किसी तरह की अनुमति भी किसान नहीं लेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वो 26 जून को अपने प्रदर्शन के दौरान काले झंडे भी दिखाएंगे और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी मांगों से संबंधित मेमोरेन्डम भी सौपेंगे।

26 जून को लेकर किसानों की तैयारी
26 जून को खेती बचाओ-लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत प्रदेश के राजभवन पर प्रदर्शन किया जाएगा और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया जाएगा। किसान नेता इंद्रजीत सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि उस दिन को ‘खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ दिवस’ दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। इंद्रजीत सिंह ने कहा कि ‘ हम राजभवन के पास काला झंडा दिखा कर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे और अपना मेमोरेन्डम राष्ट्रपति को देंगे।

क्यों चुनी गई 26 जून की तारीख ?
26 जून वो दिन है जब साल 1975 में इस दिन देश में आपातकाल लागू किया था। इस दिन हमारे प्रदर्शन को सात महीने भी हो जाएंगे। किसानों का कहना है कि किसानों के अलावा इस डिक्टेटरशिप की वजह से नागरिकों की प्रजातांत्रिक अधिकारों पर भी हमला किया जा रहा है। यह एक अघोषित इमरजेंसी है।

केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान छह महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। कई लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाला है। पिछले साल केंद्र और किसान नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद गतिरोध बना हुआ है। किसान 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

कृषि कानूनों के अलावा अन्य मुद्दों पर किसानों से बात करने को तैयार है सरकार
बीते दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान आंदोलन को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार सरकार कृषि कानूनों के अलावा अन्य मुद्दों पर आंदोलन कर रहे किसानों से बात करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हमेशा किसानों के हित में बात की है और वह किसानों से बात करने को तैयार है। अगर किसान संगठन कृषि बिल के अलावा अन्य विकल्पों पर चर्चा करने को तैयार हैं, तो सरकार उनसे बात करने को तैयार है।