जसूर एसटी भवन को चिनवा में स्थानांतरित करना गद्दी समुदाय के साथ धोखा : अजय महाजन

भूषण शर्मा। नूरपुर
पूर्व कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र द्वारा स्वीकृत विकास कार्यों के शिलान्यास किए गए भवनों का पुन: शिलान्यास करना भाजपा सरकार की नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में परंपरा बन गई। यह बात जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन ने कही। अजय महाजन ने कहा कि पहले मातृ-शिशु हस्पताल नूरपुर का पुन: शिलान्यास मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से करवाया गया।

विकास कार्यों के पुन: शिलान्यास भाजपा सरकार की उपलब्धि

अब जसूर में प्रस्तावित जनजातीय भवन का पुन: शिलान्यास करके निर्माण स्थल बदल कर गांव चिनवा में कर दिया गया, जोकि मुख्य सड़क से लगभग चार किलोमीटर दूर है तथा बस से उतरकर यात्री को वहां जाने के लिए कोई भी सुविधा नहीं है और पैदल पहुंच पाना संभव नही है, जिससे यह भवन सफेद हाथी बन कर रह जाएगा तथा लोग सुविधा से वंचित रह जाएंगे। अजय महाजन ने प्रेस वार्ता में आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार के पास कोई भी विकास कार्य करवाने के लिए नही है।इसलिए कांग्रेस शासन में किए गए शिलान्यास की पट्टिका बदल कर अपना नाम लिखवा रही है। अजय महाजन ने कहा कि मुझे खुशी होती कि वन मंत्री राकेश पठानिया कोई नया कार्य स्वीकृत करवा कर नूरपुर की जनता को सौंपते। इनके कार्यकाल के लगभग चार बर्ष खत्म होने पर भी एक भी नया कार्य करवाने में असफल रहे हैं। पिछले तीन बर्ष पहले आनन फानन में स्वीकृति तथा बजट में प्रावधान के बिना वस स्टैंड जसूर का मुख्यमन्त्री से शिलान्यास करवाया गया था, जिसकी आज तक एक ईंट नहीं लगी है, जिसका रोना वनमंत्री स्वयं विधानसभा में पीट चुके हैं तथा अपनी ही सरकार को खरी-खोटी सुना चुके हैं। जसूर एक व्यवसायक तथा व्यस्त क्षेत्र है तथा रेलवे व सड़को से आवागमन के लिए जुड़ा हुआ है। जनजातीय क्षेत्र से आने वाले गद्दी समुदाय के लोगों सहित अन्य लोग यहां रुकते हैं। उन की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सरकार द्वारा लगभग तीन करोड़ से बनने वाले जनजातीय भवन का निर्माण स्थल जसूर में प्रस्तावित कर तत्कालीन वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने शिलान्यास किया था तथा कार्य का टैंडर करके ठेकेदार को अवार्ड भी हो चुका था, जिसे अब बिना कारण रद्द करके दर-भिन्नता से आने वाले लाखों रुपए का बोझ जनता व सरकार पर डाला गया है। अजय महाजन से कहा कि में सरकार से पूछना चाहता हु की वन मंत्री ने अपना सिर्फ पट्टिका पर नाम लिखवाने के अतिरिक्त निर्माण स्थल बदलने के क्या कारण है, जिससे लोगों को उचित सुविधाओं से वंचित करके सरकारी खजाने में दर-भिन्नता राशि का बोझ डाला जाएगा। उसका जिम्मेदार कौन होगा और गांव चिनवा में प्रस्तावित वन विभाग की जमीन भवन के नाम ट्रांसफर कब हुई। यदि अभी नही हुई है तो जंगलात की भूमि पर शिलान्यास कैसे हुआ। उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मेरी सरकार से पुन: मांग है कि जनजातीय भवन के निर्माण स्थल पर पुन: विचार करके तथा लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए भवन का निर्माण जसूर में करवाया जाए तथा चिनवा में नए बजट में प्रावधान करवा कर नया भवन बनाया जाए।