मुख्यमंत्री जी…! कैसे दें कोविड डयूटी… घरों में नहीं होती है लाईट, कोरोना वारियर्स ने बयां की अपनी दास्तां

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर

बीते कल देश में कोरोना महामारी की थीम को लेकर राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस कोरोना वारियर्स के सम्मान में मनाया गया, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी के डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल नेरचौक में फ्रंटलाइन कोरोना योद्धा के तौर पर ड्यूटी दे रहे डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को अपनी आवासीय कालोनी में बिजली बाधित रहने के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है।

आलम यह है कि मेडिकल कॉलेज भवन में तो जनरेटर के माध्यम से बिजली का जाती है, लेकिन आवासीय कालोनी में इन कोरोना वारियर्स के परिवार इस झुलसने वाली गर्मी में रहना पड़ता है। वहीं, एक घंटा जनरेटर चलाने के लिए 100 लीटर तेल का खर्चा आता है। इससे सुबह से शाम तक जनरेटर चलने पर एक ही दिन में हजारों रूपए का आर्थिक बोझ पड़ता है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी में तैनात डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के लिए कॉलेज के समीप ही आवासीय परिसर का निर्माण किया गया है।

इस आवासीय परिसर में लगभग एक हजार स्टाफ परिवार सहित रहता है, लेकिन इन्हें इस समय कोरोना काल के दौरान विकट परिस्थितियों में बिजली की आंंख मिचौनी से परेशानी झेलनी पड़ रही है। जानकारी देते हुए लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज की फैक्लटी एशोसिएशन के उपप्रधान डा. रजनीश शर्मा ने कहा कि कोरोना को लेकर लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल घोषित किया गया है।

उन्होंने कहा कि इस मेडिकल कॉलेज में बिजली की समस्या पिछले 4 वर्षाें से बनी हुई है। उन्होंने कहा कि जब समस्या को लेकर पीडब्ल्यूडी से बात की जाती है, तो वे विद्युत विभाग और जब विद्युत विभाग से शिकायत की जाती है, तो वो पीडब्ल्यूडी विभाग से शिकायत करने को बोलते हैं, लेकिन आवासीय कालोनी में बिजली गुल रहती है।

उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के बाहर स्थानीय लोगों के घरों में बिजली होती है, लेकिन आवासीय कालोनी में बिजली नहीं होती है। डा.रजनीश शर्मा ने कहा कि ट्रांसफार्मर का कोई रखरखाव नहीं किया जाता है और इस कारण उनमें लीकेज होने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने प्रदेश सरकार से इस समस्या का कोई स्थाई समाधान करने की मांग की है।