राहत पैकेज में पर्यटन क्षेत्र की अनदेखी : सुधीर शर्मा

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो। धर्मशाला

हिमाचल सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी  (AICC) के सचिव सुधीर शर्मा ने कहा कि हिमाचल राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पर्यटन क्षेत्र पर निर्भर है, जो कोविड 19 की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। हाल​​कि वित्त मंत्री के रूप में, निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था पर अपनी लंबी गाथा अब समाप्त कर दी है , परंतु पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए राहत और सुधार पैकेज पूरी तरह से अनदेखा और अछूता रहा। यह अनुमान लगाया जाता है कि हिमाचल प्रदेश में सात लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यटन पर निर्भर हैं और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 6.6 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन महामारी और यात्रा प्रतिबंधों का राज्य में पर्यटन क्षेत्र में जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। मध्य मार्च में हिमाचल सरकार ने राज्य में पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्रोत भी घुट गया। पर्यटन विभाग के साथ 2019 में 3,350 होटल, 1,656 होम स्टे और 2,912 ट्रैवल एजेंसियां ​​पंजीकृत हैं, जो अब महामारी के चलते ,क्यूंकि राज्य में पर्यटक प्रवेश नहीं कर सकते, अपने अस्तित्व को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

सुधीर शर्मा ने कहा कि सिर्फ होटल व्यवसायी ही नहीं, बल्कि गाईड, कैम्पिंग और टैक्सी चालक भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 के दौरान राज्य में 3.82 लाख विदेशी और 1,68,29,231 घरेलू पर्यटक पहुंचे, लेकिन इस साल, मार्च की शुरुआत में यहां आने वाले लोगों को वापस भेज दिया गया था और राज्य की सीमा भी सील कर दी गई किसी को भी राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। साथ ही साहसिक खेल गतिविधि जैसे पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रेकिंग और अन्य संबंधित गतिविधियां पूरी तरह से प्रभावित हैं और उनसे जुड़े लोग सदमे में हैं।

सुधीर शर्मा ने कहा कि उद्योग पुनरुद्धार के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की मांग कर रहा है क्योंकि वे अर्थव्यवस्था के सबसे खराब क्षेत्रों में से एक के लिए सरकार के असंवेदनशील रवैये की वजह से ष्सदमे और अविश्वास की स्थिति में हैं। एक ओर सरकार रोजगार पैदा करने की बात करती है और दूसरी ओर, वे ऐसे क्षेत्र के प्रति बिल्कुल संवेदनहीन हैं जो लाखों लोगों को रोजगार देता है। सरकार अपने अपने स्तर पर प्रयटन उद्योग का समर्थन करने में विफल रही है, व्यवसायों को अब प्रयटन को पटरी पर लाने के लिए कोई विकल्प नहीं होगा। सुधारों और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के दावों की बड़ी चर्चा सरकार ने की, लेकिन अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू एयरलाइंस से ट्रैवल एजेंटों द्वारा बुक की गई टिकटों के लिए रिफंड पाने के लिए उनसे कोई प्रयास नहीं किया गया। राज्य की अर्थव्यवस्था पर्यटन क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है राज्य सरकार को पर्यटन समूहों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए। बेहतर कनेक्टिविटी वाले कांगड़ा, कुल्लू-मनाली और शिमला सेक्टरों को अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इन क्षेत्रों के लिए मौसम के ये छह महीने सबसे अधिक लाभदायक होते हैं।

सुधीर शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार होटल और रेस्तरां के बिजली और पानी के बिल पर घरेलू उपयोग शुल्क लगा सकती है। यह भी कि वे अगले 18 से 24 महीनों के लिए संपत्ति कर और लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क की छूट पर गैर-वाणिज्यिक दर बना सकते हैं। सुधीर शर्मा ने कहा कि कोविद -19 खतरे ने पर्यटन उद्योग में कहर डाह दिया है। राज्य और केंद्र सरकारों को इस उद्योग से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को लाभान्वित करने के लिए पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए एक बेलआउट पैकेज प्रदान करना चाहिए। राज्य सरकार ने हाल ही में, राज्य की शहरी आबादी को 120 दिन का सुनिश्चित रोजगार प्रदान करने के लिए एक योजना, मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना की घोषणा की। सुधीर शर्मा ने कहा कि सरकार ने यह भी कहा कि यह राज्य के एक लाख पंजीकृत श्रमिकों में से प्रत्येक को 2000 रुपए महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने के लिए देगी। असंगठित क्षेत्र के लिए कोई योजना नहीं है जो सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। यह राज्य में सबसे बुरी तरह से प्रभावित उद्योग की मदद करने का कोई तरीका नहीं है क्योंकि हमें एक लंबे और निरंतर पैकेज की आवश्यकता है जो कि 24 महीने की अवधि का हो , जहां कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का ध्यान रखा जाता है और उद्योग को सभी कर ढाँचो के लिए छूट दी जानी चाहिए। इस तरह हम फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सकते है।