50 दिनों बाद गांव पहुंचने पर कोरोना वारियर का भव्य स्वागत

कोविड-19 अस्पताल नेरचैक में दी सेवाएं

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर

कोरोना महामारी से लड़ रहे कोरोना वारियर डॉ. रोशन ठाकुर के योगदान को बल्ह उपमंडल की ग्राम पंचायत छम्यार के रेफल गांव में सराहा गया। एमडी मेडिसिन डॉ. रोशन ठाकुर हिमाचल प्रदेश में कोरोना महामारी के फैलने के बाद सरकार द्वारा नेरचैक स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल को डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल का दर्जा दिया गया था। इसके पश्चात लगातार इस अस्पताल में कोविड-19 से ग्रसित मरीजों का इलाज चल रहा है। इस दौरान सभी मेडिकल स्टाफ पूरी जी जान के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसी बीच छम्यार पंचायत के रेफल गांव के एमडी मेडिसिन के डॉक्टर रोशन ठाकुर भी 23 मार्च से अस्पताल में ही अपनी ड्यूटी दे रहे थे।

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23 मार्च से 18 अप्रैल तक पहले उन्होंने सामान्य फ्लू ओपीडी में सेवाएं दी। इसके उपरांत 19 से 24 अप्रैैैल तक कोविड-19 वार्ड में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान पूरा स्टॉफ अस्पताल में ही मौजूद रेस्ट हाउस में रहता था। जहां वो किसी भी बाहरी व्यक्ति से नहीं मिल सकते थे। बता दें कि 7 दिन की कोविड ड्यूटी के बाद पूरा स्टॉफ 14 दिन तक एक होटल में कोरेन्टीन रहता है। समय पूरा करने के बाद लगभग 50 दिनों पश्चात जब डॉक्टर रोशन ठाकुर अपने घर रेफल पहुंचे तो सभी गांववालों व उनके माता पिता सहित पूरे परिवार ने उनका फूल वर्षा कर व आरती उतार कर स्वागत किया। डॉ. रोशन ठाकुर की पत्नी सपना ठाकुर भी नेरचैक मेडिकल कॉलेज में भी कार्यरत है और आजकल मातृत्व अवकाश के कारण घर पर ही हैं। डॉक्टर रोशन ठाकुर ने कहा कि कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में हम सभी के अंदर कोरोना वारियर है। इसकी मदद से हमें मिल कर इस महामारी से लड़ना है। डॉक्टर अपना काम कर रहें है उसी तरह समाज के लोग भी उनको जो जरूरी दिशानिर्देशों मिलते हैं। उनको मान कर अपना योगदान इस बीमारी से लड़ने में दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि इतने दिन परिवार से दूर रह कर अपनी ड्यूटी को अंजाम देने में उनके परिवार का सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। रोशन ठाकुर ने कहा कि 2 दिन की छुट्टी के बाद वो एक बार फिर से अपनी ड्यूटी जॉइन कर लेंगे।