अगले वर्ष फरवरी में रक्कड़ में लगाया जाएगा डेयरी उद्योग : कैप्टन संजय

किसानों ने किया करनाल के एनडीआरआई के प्रधान वैज्ञानिकों से सीधा संवाद

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय पराशर ने कहा है कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसानों व पशु पालकों की आय दोगुनी करने के लिए वह रक्कड़ क्षेत्र में अगले वर्ष के फरवरी तक डेयरी उद्योग स्थापित करेंगे। इसके साथ ही किसानों को प्रशिक्षित करने व अत्याधुनिक तकनीक की जानकारी के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान का दौरा भी करवाया जाएगा। रविवार को नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीच्यूट, करनाल के प्रधान वैज्ञानिकों से जसवां-परागपुर के किसानों के संवाद के कार्यक्रम में पराशर ने कहा कि बिजली व पानी की दिक्कतों के अलावा इस क्षेत्र में डेयरी उद्योग लगाने का अनुकूल वातावरण है। इसके लिए वह अपने संसाधनों से बजट का प्रावधान करेंगे।

उन्हाेंने कहा कि एक हजार लीटर दूध वाले प्लांट लगाने की योजना है, जिससे डेयरी उत्पाद तैयार किए जाएंगे। गाय व भैंसों का बीमा किया जाएगा और पशुओं की उत्तम नस्लों की जानकारी करनाल के संस्थान में जाकर ली जाएगी। इसके अलावा दूध का टेस्ट करने के लिए प्रयोगशाला का भी निर्माण किया जाएगा। कहा कि उद्याेग में मशीनों का प्रयोग होने से किसानों की आय बढ़ने के साथ आमजनमानस का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। दरअसल कैप्टन संजय क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक प्राजेक्ट के तहत कार्य कर रहे हैं। इसी कड़ी में एनडीआरआई के प्रधान वैज्ञानिकाें डॉ. आशीष कुमार सिंह और डॉ. एसएस लठवाल ने वेबीनार के माध्यम से दूध उत्पादों से आय दोगुनी करने को लेकर किसानों को तरीके बताए।

स्वाणा, रक्कड़ तहसील के कूहना, शांतला, चौली, डाडासीबा, परागपुृर, कस्बा कोटला, चिंतपूर्णी और मेहड़ा के 243 किसानों ने इस ऑनलाइन बैठक में भाग लिया और विशेषज्ञों से कई सवाल भी पूछे। डॉ. आशीष ने बताया कि पशु पालकों की आय तभी बढ़ सकती है, जब सामूहिक रूप से प्रयास किए जाएं। इसके लिए किसानों को स्वयं सहायता समूृह बनाकर काम करना होगा। इसके अलावा पशुओं के स्वास्थ्य व आहार पर भी ध्यान देने की जरूरत है। आज तकनीक काफी आगे बढ़ चुकी है और मशीनों के इस्तेमाल से बेशक समय की बचत के साथ आमदनी में इजाफा हो सकता है। कहा कि उत्पादों के विपणन हेतु बाजार के प्रबंधन की आवश्यकता होती है, ऐसे में कैप्टन संजय का सहयोग मिलता है, तो निश्चित तौर पर किसानों काे फायदा मिलेगा।

वहीं, डॉ. एसएस एसएस लठवाल ने पशु पालकों को पैडोमीटर और लाइन बकेट मिलकिंग जैसी मशीनों के बारे में बताया। कहा कि हाथ रहित मशीनों के उपयोग से दूध उत्पादों की गुणवता भी सही रहती है। उन्हाेंने किसानों को भारत सरकार की योजना स्टार्ट अप इंडिया के माध्यम से भी पशु पालन व्यवसाय करने की सलाह दी। किसानों वीरेंद्र कुमार, अमित शर्मा, राज कुमार, अनुज, सुदर्शन सिंह, संतोष कुमारी और सुभाष ने वैज्ञानिकों से सवाल भी पूछे। किसान पंकज ने पूछा कि पशु के थन बार-बार फटने का क्या इलाज हो सकता है। इसके जबाव में डॉ. आशीष ने कहा कि दूध लेने के बाद पशु को आधे घंटे तक नहीं बैठने देना चाहिए। इस समस्या का यही स्थायी समाधान है।