प्रवासी पक्षियों की मौत ने बढ़ाई विभाग की परेशानियां

सुरिंद्र मिन्हास। फतेहपुर

उपमंडल फतेहपुर, देहरा व ज्वाली से सटी पौंग झील किनारे पिछले कुछ दिनों से प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला चला हुआ है, जिसके चलते वन्य प्राणी विभाग की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। सनद रहे पौंग जलाशय क्षेत्र में सर्दियों के दिनों में साइबेरिया सहित अन्य कुछ देशों के पक्षी विचरण करने पहुंचते हैं, जिसके चलते जहां झील के भीतर व किनारे का दृश्य काफी रोचक हो जाता है, जिसे निहारने के लिए स्थानीय के साथ-साथ अन्य राज्यों के पर्यटक भी पहुंचते हैं। इस कारण क्षेत्र के व्यवसाय को भी चार-चांद लग जाते हैं, लेकिन इस बार प्रवासियों पक्षियों को हो रही लगातार मौते से क्षेत्र में दहशत का माहौल है, तो वहीं पर्यटक भी मायूस होकर रास्तों से ही वापस हो रहे हैं।

वहीं, प्रवासी पक्षियों की हो रही मौतों पर प्रशासन ने भी कड़े कदम उठाते हुए पौंग जलाशय किनारे के एक किलोमीटर क्षेत्र को लोगों व पशुओं के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित कर रखा है। साथ ही मछली पकड़ने के व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी मछली पकड़ने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वहीं, विभाग द्बारा भिन्न-भिन्न जगहों से मृत पक्षियों के नमूने इकट्ठे कर जालंधर, बरेली व भोपाल सहित अन्य कुछ लैब में जांच में लिया भेज दिए हैं। अब उनकी रिपोर्ट का विभाग इंतजार कर रहा है।

वहीं, इस पर जानकारी देते हुए डीएफओ वन्य प्राणी विभाग राहुल एम रोहणे के साथ फोन पर बात की, तो उन्होंने बताया अब तक पौंग जलाशय किनारे करीब 1700 प्रवासी पक्षियों की मौत हो चुकी है। बताया अभी मृत पक्षियों के भेजे हुए सैम्पलज की फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है। इसलिए प्रवासी पक्षियों की मौत कैसे हुई है। इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता। बताया मृत पक्षियों को गहरे गड्ढे खुदबा कर दफनाया जा रहा है, ताकि जिस वायरस कारण पक्षियों की मौत हो रही हैं। उससे कोई और खतरा न बन पाए।