मंडी शहर में बढ़ी तरडी की मांग, प्रचुर मात्रा में औषधीय गुणों से भरपूर

उज्जवल हिमाचल। मंडी

हिमाचल प्रदेश के जंगलों में बहुत सी ऐसी प्राकृतिक खाद्य वस्तुएं मौजूद हैं जो समय और ऋतु के अनुसार स्वतः ही पैदा होती जाती हैं। इन्हीं में से एक है तरडी, हालांकि तरडी स्थानीय बोली में कहा जाता है जबकि आयुर्वेद में इसे तरूणकंद के नाम से जाना जाता है। जनवरी महीने की शुरूआत से लेकर शिवरात्रि के कुछ समय बाद तक यह कंद प्राकृतिक रूप से जंगलों में मिलता है। लोग खुदाई करके इसे जमीन से निकालकर सब्जी के रूप में उपयोग में लाते हैं और बाजारों में बेचने के लिए भी लाते हैं। इससे सब्जी, आचार सहित अन्य खाद्य वस्तुओं में भी इस्तेमाल किया जाता है। मंडी जिला के लोग तरडी यानी तरूणकंद को सब्जी बनाकर खाते हैं।

इसकी सब्जी बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट बनती है। ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग तरडी को निकालने के लिए विशेष रूप से जंगलों में जाते हैं और गहरी खुदाई करके इसे निकालते हैं। बाजारों में भी इसकी बहुत ज्यादा डिमांड रहती है। इस बार यह बाजार में 200 रूपए प्रतिकिलो की दर से बेची जा रही है। ग्रामीण सुभाष और सब्जी विक्रेता देवराज ने बताया कि तरडी को निकालने में काफी ज्यादा मेहनत लगती है और बाजार में यह काफी महंगी बिकती है। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल प्राकृतिक होती हैं और इसमें किसी तरह का खाद या कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं होता हैं। तरडी की मंडी शहर में काफी डिमांड हैं और वह पिछले 3 महीनों से इसे बाज़ार में बेच रहे हैं।

संवाददाताः उमेश भारद्वाज

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