डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिन पर राष्ट्रीय विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने बच्चों को बाटें फल

उज्जवल हिमाचल। नगरोटा बगवां

आज डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिन पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच पिनाकल स्कूल में बच्चों को फल देकर और डॉक्टर श्याम प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने बच्चों को डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में बताया कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कौन थे। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत महान भारत के महान क्रांतिकारियों देशभक्त थे। उनका जन्म 6 जुलाई 1901 को एक साधारण परिवार में हुआ था। महानता के सभी गुण उनको विरासत में मिले थे। उनके पिता आशुतोष आशुतोष बाबू अपने जमाने में विख्यात शिक्षाविद भी थे। डॉक्टर मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसी वर्ष उनका विवाह सुधा देवी से हुआ। इनके दो पुत्र और दो पुत्रियां 24 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बने गणित का अध्ययन करने के लिए वह विदेश गए। वहां पर लंदन में मैथमेटिकल सोसायटी ने उनको सदस्य बनाया।

वहां से लौटने के बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की तथा विश्वविद्यालय की सेवा में कार्यरत रहे। 1939 में डॉक्टर श्याम प्रसाद मुखर्जी जी ने राजनीति में भाग लिया और इसी में लगे रहे। उन्होंने गांधीजी व कांग्रेस की नीतियों का विरोध किया जिसे हिंदुओं को हानि उठानी पड़ी थी। एक बार उन्होंने कहा कहा कि वह दिन दूर नहीं नहीं। जब गांधी जी की अहिंसा वादी नीति के अंतिम चरण के फल स्वरुप समूचा बंगाल पाकिस्तान का क्षेत्र बन जाएगा।

उन्होंने नेहरू जी और गांधीजी की तुष्टीकरण नीति का खुलकर विरोध किया। 1947 को स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्री मंडल में एक गैर कांग्रेसी मंत्री के रूप में उन्होंने वित्त मंत्रालय का काम संभाला। 1950 में भारत की दशा दयनीय थी। डॉक्टर मुखर्जी के मन को गहरा आघात लगा। उनसे यह देखा ना गया और मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर संसद लोधी पक्ष की भूमिका निबंध करने लगे। एक ही देश में दो झंडे और दो निशान भी स्वीकार नहीं थे। इसके लिए उन्होंने जम्मू की प्रजा प्रजा परिषद पार्टी के साथ। आंदोलन छेड़ दिया और 1951 में उन्होंने जनसंघ की स्थापना की।