ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग शीट ने बदल दी खेती की तस्वीर

एसके शर्मा। हमीरपुर
जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी जाइका की सहायता से प्रदेश के विभिन्न जिलों में चलाई जा रही हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना का लाभ उठाकर हमीरपुर, ऊना और बिलासपुर के किसान सब्जी उत्पादन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। जाइका परियोजना के कारण ये किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करके अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। ड्रिप सिंचाई सुविधा और मल्चिंग शीट के प्रयोग से उनके लिए सब्जी उत्पादन काफी आसान हो गया है। जिला हमीरपुर में जाइका की उप परियोजना मांजरू, बहा बल्ला, किर्विन, बलेटा, गुहल और बल्ला में मल्चिंग शीट्स और ड्रिप सिंचाई प्रणाली के माध्यम से खीरा, फूलगोभी और अन्य नकदी फसलों की भरपूर पैदावार हो रही है। जाइका परियोजना के निदेशक डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना के तहत किसानों को सब्जी उत्पादन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। प्रशिक्षण के बाद ये किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती कर लाखों का लाभ कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि गोभी और खीरा मध्य पर्वतीय क्षेत्र में किसानों की मुख्य फसलें हैं। हमीरपुर और बिलासपुर जिले में किसान मुख्य फसल सीजन से थोड़ा जल्दी या लेट फसल उगा कर अधिक से अधिक दाम में फसल को बेचकर अच्छा लाभ कमा रहे हैं। डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि खीरा और फूलगोभी प्रदेश की प्रमुख ग्रीष्मकालीन सब्जियां हैं। प्रदेश में अधिक बरसात होने और खरपतवारों की अधिकता के कारण अक्सर इन फसलों की उत्पादकता कम रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना में हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में किसानों को मल्चिंग शीट और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करके खीरा तथा फूलगोभी लगाने के लिए प्रेरित किया गया। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित भी किया गया।
ड्रिप सिंचाई से होती है पानी की बचत, मल्चिंग शीट से खत्म हो जाते हैं खरपतवार
परियोजना निदेशक ने बताया कि ड्रिप सिंचाई के इस्तेमाल से पानी का किफायती इस्तेमाल होता है, जबकि मल्चिंग शीट के कारण क्यारियों में खरपतवार नहीं पनप पाते हैं। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाता है। इस विधि से खीरे की फसल को जल्दी लेने के बाद किसान गोभी और अन्य फसलें भी ले पा रहे हैं। खीरे की फसल को बरसात आने से पहले अप्रैल-मई में लगा दिया जाता है। इस विधि से लगाई गई फसल को कोई नुकसान नहीं होता और बाजार में खीरा 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक जाता है। इसी मल्चिंग शीट पर खीरे की फसल के बाद फूलगोभी की अगेती किस्म को अगस्त महीने में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसकी उपज बाजार में अक्टूबर के आरंभ में ही आ जाती है। इस समय फूलगोभी का बाजार भाव 60-80 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिल जाता है। इस प्रकार ड्रिप सिंचाई सुविधा और मल्चिंग शीट्स के कारण किसान बड़ी आसानी से नकदी फसलें उगा रहे हैं।