पहली बार पुरुषों ने भी चबूतरे से किए बाबाजी के दर्शन

दियोटसिद्ध मंदिर के खुलने पर श्रद्धालुओं ने जताई खुशी

एसके शर्मा। हमीरपुर

उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध के कपाट गुरूवार को सुबह आरती के साथ मंदिर को खोला गया। बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध के कपाट खुलने से श्रद्धालुओं ने खुशी जाहिर की है। पहले दिन पंजाब से बहुत कम संख्या में श्रद्धाल बाबाजी के दर शीश नवाने पहुंचे हैं। कोविड-19 के चलते मंदिर प्रशासन ने लिया फैसला है कि बाबा जी की गुफा में कोई भी प्रवेश नहीं करेगा। मंदिर दियोटसिद्ध में मंदिर प्रशासन ने कोविड-19 के चलते पूरी तैयारियां की है। मंदिर परिसर में हाथों को सेनेटाइस करने के लिए मशीनें लगाई हैं।

इतिहास में पहली बार हुआ है कि बाबा बालक नाथ मंदिर में जहां चबूतरे से महिलाएं बाबा जी की गुफा के दर्शन करती थीं। वहीं, से पुरूषों के द्वारा भी दर्शन किए जा रहे है। दियोटसिद्ध मंदिर प्रतिदिन प्रात: 6 खुलेगा और सायंकाल को 7 बजे बंद होगा। प्रतिदिन लगभग 500 श्रद्धालुओं को गुफा/मंदिर में दर्शन की अनुमति दी जाएगी। गर्भ गृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी और यात्रियों को चिह्नित स्थल से ही दर्शन करने होंगे और मूर्ति के समक्ष एक मिनट से अधिक रूकने की अनुमति नहीं होगी। श्रद्धालुओं को दर्शन करने के उपरांत 15 मिनट में गेट नंबर-5 से होकर परिसर से बाहर जाना होगा। मंदिर में रोट और प्रसाद नहीं चढ़ाया जाएगा, केवल प्रसाद हाथ में रखकर ही अरदास की जाएगी।

बताते चलें कि उत्तरी भारत का प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है, जिस पर श्रद्धालुओं ने खुशी जताई है। मंदिर तो खुल गया, लेकिन पंजाब से आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद कम रही। बाबा बालक नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए इस तरह उचित समाजिक दूरी के अलावा बीमारी से बचाव के लिए थर्मल स्क्रीनिंग, हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही मंदिर में श्रद्धालु 15 मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगा सकते हैं। वहीं, मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को लाइन में लगने के साथ निर्धारित सर्किल के अंदर ही आवाजाही करने के लिए भी एक स्थान तय किया गया है। हालांकि मंदिर में रोट इत्यादि प्रसाद ले जाने के लिए पूर्णतया मनाई है।

अगर कोई श्रद्धालु और रोट को मंदिर में चढ़ा नहीं सकता है, लेकिन दूर से अरदास कर सकता है। वहीं, इतिहास में पहली बार बाबा बालक नाथ के मंदिर में महिलाओं को बनाए गए चबूतरे से ही पुरुष भी बाबा की गुफा का दर्शन करेंगे, जो कि करीब 20 मीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं, मंदिर प्रशासन के द्वारा मंदिर के अंदर करीब 10 से 15 मिनट के भीतर श्रद्धालुओं को मंदिर के बाहर भेजा जा रहा है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले श्रद्धालुओं का थर्मल स्क्रीनिंग स्वास्थ्य विभाग के द्वारा की जा रही है।

वहीं, मंदिर परिसर में माथा टेकने के लिए पहले दिन पहुंचे श्रद्धालुओं विनोद लखनपाल, नीरज शर्मा, पवन शर्मा, सतीश, देशराज, अनिल, विवेक, राजन शर्मा व सोमदत सहित अन्यों ने बताया कि में काफी समय से बाबा बालक नाथ मंदिर में आने का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही आज पता लगा कि मंदिर खुल गए हैं, तो वे माथा टेकने के लिए बाबाजी के दरवार पहुंचे हैं।

श्रद्धालुओं ने प्रशासन के द्वारा मंदिर में की गई सभी व्यवस्थाओं को भी सही ठहराया है। वहीं, पंजाब के मलेरकोटला से आए हुए 2 श्रद्धालुओं ने बताया कि पिछले 6 महीने से वह बाबा बालक नाथ के दरबार में माथा टेकने के लिए आना चाहते थे, लेकिन नहीं आ पा रहे थे। उन्होंने अरदास करते हुए कहा कि बाबा बालक नाथ करुणा महामारी से विश्व को छुटकारा दिलाएंगे।

उधर, मंदिर न्यास अध्यक्ष एवं एडीएम बड़सर प्रदीप कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार के आदेशों के अनुसार बाबा बालक नाथ मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को सारी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए काम किया गया है। करुणा महामारी से बचाव के लिए भी मंदिर प्रशासन के द्वारा पूरी तरह से एहतियात बरता जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे अतिआवश्यक होने पर ही मंदिर में आएं, अन्यथा वे घर बैठकर ही बाबाजी के लाईव दर्शन एवं आरती में शामिल हो सकते हैं।