उज्जवल हिमाचल। पालमपुर
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि बिहार सरकार ने लगभग 500 करोड़ रुपए खर्च करके जाति आधार पर जनगणना पूरी की है। इसकी रिपोर्ट भी प्रकाशित हो गई है। देश के सामने इस कारण एक बहुत बड़ा संकट खड़ा हो रहा है।
उन्होंने कहा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 से अंग्रेज सरकार पूरी तरह से टूट गई थी। हजारों देश भक्तों को कालापानी भेजा गया। उसके बाद अंग्रेजों ने दो निर्णय किए। ये थे भारत पर हमेशा राज करने के लिए हिंदु-मुस्लिम के नाम पर लोगों को लड़ाना और जातियों के आधार पर देश को बांटना। वे भारत को इस प्रकार बांटना चाहते थे कि फिर कोई आजादी की बात न करे। बाद में गांधी जी के नेतृत्व में इसका प्रबल विरोध हुआ।
यह भी पढ़ेंः एचपीयू की तरफ से नेशनल स्तर पर गोआ में दौड़ेगा नूरपुर का विक्रम
1931 में पहली बार जाति आधारित जनगणना की गई, परंतु प्रबल विरोध के कारण उसका परिणाम कभी देश को नहीं बताया गया, परंतु अंग्रेज धर्म के नाम पर पाकिस्तान बनाने में सफल हो गए। देश का बंटवारा हुआ, लाखों लोग मरे और करोड़ों विस्थापित हुए।
हिमाचल: अफीम, देसी कट्टे, पिस्टल व राउंड सहित पंजाब के 3 युवक गिरफ्तार
शांता ने कहा कर्नाटक प्रदेश ने भी एक बार जाति आधारित जन गणना करवाई थी, परंतु प्रबल विरोध के कारण उसका परिणाम कभी देश को नहीं बताया गया। इससे बड़ा देश का दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि जातियों के नाम पर अंग्रेज भारत को बांटने में सफल नहीं हुए, परंतु वहीं काम अब बिहार के सीएम नीतिश कुमार और कांग्रेस यह कर रही है।