मछली पालन की इस तकनीक से कम लागत में पाएं बंपर मुनाफा

उज्ज्वल हिमाचल। ऊना
किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा पशु पालन के साथ-साथ मत्स्य पालन को बढ़ाना देने के लिए विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है ताकि मछली पालन व्यवसाय से किसानों/मत्स्य पालकों को आर्थिक लाभ मिल सके। जिला ऊना में मछली पालन व्यवसाय की आपार संभावनाएं है जिसे जिला के लोगों के लिए मछली पालन का व्यवसाय काफी लाभकारी सिद्ध हो रहा है। खेती करने वाले किसान भी मत्स्य पालन व्यवसाय को अपनाकर अपनी आर्थिक को सुदृढ़ करके आत्मनिर्भर बन रहे है।
जिला ऊना के बंगाणा ब्लॉक के गांव चौकी मन्यिार की रेशमा देवी ने मछली पालन व्यवसाय को अपनाकर अपने और अपने परिवार के स्वरोजगार के साधन सृजित किए।  रेशमा देवी ने बताती हैं कि वह परिवार का पालन पोषण करने के लिए सिलाई का काम और पति खेतीबाड़ी का काम करते थे। उन्होंन कहा कि सिलाई और खेतीबाड़ी के कार्य से घर का खर्च चलाना मुश्किल होता था।
उन्होंने परिवारिक आय को बढ़ाने के लिए कुछ नया करने के बारे में सोचा। गांव में उनके पास पर्याप्त मात्रा में जमीन होने के चलते उन्होंने मछली पालन व्यवसाय को शुरू करने का मन बनाया जिसके लिए उन्होंने मत्स्य विभाग के अधिकारियों के साथ सम्पर्क किया। रेशमा देवी ने बताया कि मत्स्य विभाग के अधिकारियां ने उन्हें मछली पालन व्यवसाय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी तथा बताया कि सरकार द्वारा भी मछली पालन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
रेशमा देवी वर्ष ने वर्ष 2018-19 में 600 वर्ग मीटर के छोटे यूनिट में मछली पालन का कार्य आरंभ किया। इस यूनिट से मछली का अच्छा उत्पादन हुआ। इसी को मध्यनज़र रखते हुए उन्होंने वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत एक हज़ार वर्ग मीटर में बायोफ्लॉक(तालाब) बनाने के लिए आवेदन किया। एक हज़ार वर्ग मीटर वाले बायोफ्लॉक(तालाब) की कुल लागत 14 लाख रूपये थी। इस बायोफ्लॉक को तैयार करने के लिए रेशमा देवी को विभाग की ओर से 60 प्रतिशत यानि 8.40 लाख रूपये की राशि उपदान के रूप में मिली तथा शेष 40 प्रतिशत राशि खुद व्यय की।

यह भी पढ़ेंः  सोने से महंगा चिट्टा कर देगा बर्बाद, छीनी कई जिंदगियां

रेशमा देवी ने बताया कि इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए उनके पति उनका पूरा सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गत वर्ष उन्होंने तालाब में कॉमन कार्प, मून कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, मृगल कॉर्प व ग्रास कॉर्प का बीज डाला था जिससे उन्हें 7 टन मछली का उत्पादन हुआ और 10 लाख रूपये की आय अर्जित की। रेशमा देवी के पति सुभाष चंद ने बताया कि वर्तमान में भी ट्राउट, कत्तला सहित कॉमन कार्प, मून कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, मृगल कॉर्प व ग्रास कॉर्प का बीज डाला है। उन्होंने बताया कि चार से छः माह के अंतराल में ही तालाब में डाली गई मछलियां लगभग 300 से 500 ग्राम वजन तक पहुंच चुकी है।

ब्यूरो रिपोर्ट ऊना

हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें