अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा राजकीय संस्कृत कॉलेज सुंदरनगर

उज्ज्वल हिमाचल। मंडी

इतिहास की एक अनूठी दास्तां अपने आप में समेटे हुए संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर 13 दिसंबर को 100 वर्ष का हो जाएगा। इन सौ वर्षों में संस्कृत कालेज ने प्रदेश को कई विद्वान दिए हैं। लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि 1923 से संस्कृत महाविद्यालय के नाम से अपना सफर शुरू करने वाला यह महाविद्यालय इन 100 वर्षों की लंबी अवधि के बावजूद भी विश्वविद्यालय बनने की अपनी चाहत पूरी नहीं कर पाया है। संस्कृत महाविद्यालय का अभी तक अपना भवन निर्मित नहीं हो पाया है। इससे जहां विद्यार्थियों को खुले आसमान के नीचे कक्षाएं और परीक्षाएं देने के लिए मजबूर होना पड़ता है। कॉलेज में आलम यह है कि लगभग एक हजार विद्यार्थियों पर मात्र 7 अध्यापक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

बता दें कि 1923 में सुकेत रियासत वर्तमान सुंदरनगर के राजा लक्ष्मण सेन ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण के भाव में मां भगवती त्रिपुर सुंदरी के पाश्र्व में भगवान नरसिंह मंदिर के परिसर में एक लघु संस्कृत पाठशाला के नाम से इस कालेज की स्थापना की थी। 1947 से पूर्व यह पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से संबंद्ध रहा। यहां पर प्राज्ञ, विशारद, शास्त्री व आचार्य की कक्षाएं संचालित होती रही। 1971 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला की स्थापना के यहां से अनुमोदित होकर इसकी परीक्षाओं का संचालन हो रहा है।

वर्तमान में यह महाविद्यालय सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी से संबंद्ध है। देश की विशिष्ट संस्कृत संस्थाओं में प्रमुख स्थान सुंदरनगर संस्कृत महाविद्यालय देश की उन विशिष्ट संस्कृत संस्थाओं में प्रमुख स्थान रखता है। जहां प्राच्य परंपरा से संस्कृत के वैदिक,लौकिक, शास्त्रीय संस्कृत-साहित्य, व्याकरण, दर्शन, ज्योतिष व वेद आदि विषयों का अध्ययन कर विद्यार्थी दुर्लभी भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का पुनीत कार्य कर रहे हैं।

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महाविद्यालय से निकले हैं यह विद्वान

संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर से हिमाचल प्रशासनिक सेवा के अधिकारी लक्ष्मी कांत शर्मा, हिमाचल पुलिस सेवा के सोमदत्त के साथ ही राजेंद्र शर्मा, विशंभर दत्त शर्मा, इंद्र सिंह ठाकुर, डा. तिलक राज ठाकुर, आचार्य सरला गौतम, आचार्य रवि गौड़, डा. प्रवीण कुमार विमल, आचार्य सोनम डोलमा, मान सिंह वर्मा, महेंद्र गोपाल शर्माद्व अनिता भार्गव, राम सरन ठाकु, पुरुषोत्तम लाल, सीता राम ठाकुर, लीलाधर वात्स्यायन, चुनी लाल शर्मा, परस राम चंदेल, हेम प्रभ शर्मा, बदरी दत्त, उत्तम चंद भारद्वाज, लेखराम शर्मा और आचार्य रोशन लाल शास्त्री जैसे विद्वान यहां से पढ़ाई कर चुके हैं।

संवाददाताः उमेश भारद्वाज

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