मर गई इंसानियत : बेटे ने मां के शव को खुद उठाकर शमशान घाट पहुंचाया, बहू और बच्चे ने उठाई अंतिम संस्कार की सामग्री

कांगड़ा के रानीताल में आत्मा को झकझोर देने वाला वाकया, न समाजसेवी न प्रशासनिक प्रतिनिधि सुध लेने पहुंचे

उज्जवल हिमाचल। देहरा

कोरोना आज इंसान ही नहीं बल्कि इंसानियत को भी मार रहा है। ऐसा की एक तस्वीर कांगड़ा के रानीताल से देखने को मिली । जब लाश को चार कंधे भी नसीब नहीं हुए तो एक बेटे ने मां के शव को खुद उठाकर शमशान घाट पहुंचाया। आस-पड़ोस वाले शायद मुर्दा शरीर को देखकर खुद मुर्दा हो गए। बेबसी की हद तो तब हो गई जब मृतका की बहू और उसका डेढ़ साल का बच्चा उस सामग्री को लेकर वहां पहुंची जो पार्थिव देह को जलाने के दौरान काम आती है। लेकिन इस दौरान न तो किसी समाजसेवी का दिल पसीजा और न ही प्रशासन कोई प्रतिनिधि आगे आया। जानकारी के अनुसार ये मामला रानीताल के समीपवर्ती गांव भंगवार का है जहां वीरवार सुबह एक कोरोना संक्रमित महिला की होम आइसोलेशन के दौरान मौत हो गई।

हद तो उस समय हो गई जब उस महिला को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए कोई शव को कंधा लगाने भी आगे नहीं आया। ऐसे में जैसे तैसे उसके पुत्र वीर सिंह ने खुद को संभाला और मां के शव को कंधे पर उठाकर अंतिम संस्कार के लिए चल पड़ा। बताया जा रहा है कि आगे-आगे पुत्र मां के शव को कंधे पर उठाकर ले जा रहा था तो उसके पीछे ढेड़ वर्ष के बच्चे को कंधे से लगाए और दूसरे हाथ में अपनी सास के अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री को लेकर उसकी पत्नी चली हुई थी। कोरोना महामारी के दौरान सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमित लोगों को सहायता प्रदान करने संबंधी लोगों द्वारा बहुत बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन जब सहायता का समय आता है तो ऐसे में वो सभी बातें धरातल पर शून्य हो जाती हैं।

पंचायत प्रधान बोले, मना किया सहायता लेने से

जब इस बारे भंगवार पंचायत के प्रधान सूरम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मुझे बुखार था इसलिए मैं खुद पीडि़त परिवार के घर नहीं जा सका, लेकिन फिर भी मैंने प्रशासन से पीपीई किटों और हर संभव सहायता के बारे में बात की थी लेकिन पीडि़त वीर सिंह ने पीपीई किट के लिए मना कर दिया और कहा कि मेरे रिश्तेदार पीपीई किट लेकर आ रहे हैं आप रहने दो। वहीं मेरे कहने पर आशा वर्कर ने भी पीडि़त परिवार से संपर्क किया और हर संभव सहायता के लिए कहा था। मैंने 2 ट्रैक्टर चालकों से भी शव को लेकर जाने की बात की, लेकिन दोनों ट्रैक्टर चालकों ने इंकार कर दिया। वहीं पीडि़त परिवार की गांव के कुछ लोगों ने मदद की है और वो लड़कियां काटने के लिए पहले ही जंगल में चले गए थे वो वहां पर शव का इंतजार कर रहे थे, लेकिन पीडि़त वीर सिंह ने शव को अकेले ले जाकर बहुत ही जल्दबाजी दिखाई उसने न तो मुझे और न ही किसी और बुद्धिजीवी को इस बारे में बताया कि शव को कोई कंधा नहीं लगा रहा नहीं तो हम कुछ करते जाए ताकि स्वास्थ्य कर्मियों को कोई परेशानी न झेलनी पड़े।