उज्जवल हिमाचल। योल
धर्मशाला मुख्यालय के साथ लगते योल क्षेत्र के सबसे पुराने स्कूल जिसने देश व प्रदेश को कई होनहार अधिकारी दिए लेकिन छावनी बोर्ड के विघटन के बाद यह स्कूल अब कई अध्यापकों के साथ लेकर राज्य प्रशासन के अधीन तो चला गया लेकिन राज्य प्रशासन द्वारा इस स्कूल की कोई पूछताछ न होने व सुविधाएं न मिलने पर स्कूल में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है।
जानकारी के मुताबिक छावनी बोर्ड के विघटन के बाद कुछ चन्द अध्यापकों के सहारे यह स्कूल चल रहा है उनमें से भी कुछ अध्यापक स्कूल के समय में सरकारी कार्यों की वजह बता कर बाहर होते है। जी हां हम बात कर रहें प्राचीन जाने माने ए.एफ.सी.बी. हाई स्कूल की जहां कभी 2500 तक छात्र हुआ करते थे लेकिन व्यवस्थाओं की कमी के चलते अब यह संख्या मात्र 700 तक ही सिमट कर रह गई है।
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अध्यापकों की कमी की वजह से छात्र व अभिभावुक परेशान है परीक्षाएं आने वाली है, विघटन से पहले यहां स्थायी अध्यापकों के अलावा आऊटसोर्स के माध्यम से भी अध्यापक लगे थे। एसएमसी कमेटी के प्रधान पंकज मैहरा ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई पूरी प्रभावित हो रही एसे में स्कूल में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
इस समय बच्चे जाएं तो कहां जाएं। प्रधान के साथ अभिभावकों का कहना है कि स्कूल या प्रशासन या तो स्थायी अध्यापक भेजे या फिलहाल के लिए एस.एम.सी. के माध्यम से ही अस्थायी अध्यापक नियुक्त करने की अनुमति प्रदान करे। जिसके लिए एसएमसी कमेटी भी पूरी तरह तैयार है।