पशु पालकों की आय को बढ़ाने के लिए करने होंगे प्रयास: कैप्टन संजय

-कहा, 60 रूपए लीटर दूध बिकने पर भी पशु पालकों के चेहरे पर नहीं है रौनक

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने कहा है कि जसवां-परागपुर क्षेत्र में इन दिनाें 60 रूपए लीटर के हिसाब से दूध बिक रहा है, बावजूद इस कीमत के बाद भी पशु पालकों के चेहरे पर से रौनक गायब है। पराशर ने कहा कि कारण यह है कि तूड़ी और पशु आहार इतने मंहगे हो गए हैं कि किसानों को अब पशु रखना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। पिछले तीन वर्ष में तूड़ी और पशु खुराक के दाम लगभग दुगने हो गए हैं।

रक्कड़ में जनसंवाद कार्यक्रम में संजय ने कहा कि इसी के चलते कई किसानों की पशु पालन में भी दिलचस्पी कम हो गई है। ऐसे में तंत्र को पशु पालकों की आय को बढ़ाने के प्रयास करने होंगे। कहा कि किसानों के हित में सब्सिडी पर तूड़ी उपलब्ध करवानी चाहिए तो लघु उद्याेग के रूप में मिल्क प्लांट यूनिट का भी निर्माण किसानों के लिए फायदेमंद रहेगा। इसके साथ ही पैकेट वाले दूध की जांच का भी प्रावधान होना चाहिए और राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के दो संवाद केंद्र बठरा और कूहना में स्थापित होने चाहिए। कहा कि इस दिशा में वह खुद भी व्यक्तिगत रूप से एक प्रोजेक्ट के तहत कार्य कर रहे हैं।

संजय पराशर ने कहा कि क्षेत्र में बेसहारा पशुओं और जंगली जानवरों के आतंक के कारण फसल की पैदावार पहले से अब काफी कम रह गई है। जसवां-परागपुर क्षेत्र में किसानों के तूड़ी खरीद कर ही लेनी पड़ती है क्योंकि यहां पर लगभग छोटे किसान ही हैं और सिंचाई के बिना पैदा की गई फसल सिर्फ मौसम पर ही निर्भर करती है। इस बार मक्की की फसल को कीट रोग लग गया है। संजय ने कहा कि क्षेत्र में तूड़ी के दाम 1150 से 1200 प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। मझोले किसानों के पास फिलहाल तूड़ी खरीदने के अलावा कोई चारा नहीं है।

वैसे भी स्थानीय किसानों को पूरे साल के लिए तूड़ी खरीदनी पड़ती है। पराशर ने कहा कि तूड़ी के दामों में दोगुना इजाफा हुआ है और पशु आहार रेट भी इसी गति से बढ़े हैं। कहा कि तीन वर्ष इन्हीं दिनों में 1500 रुपए में बिकने वाली 49 किलोग्राम की बोरी के दाम इस बार 2400 रूपए तक पहुंच गए हैं। इतना ही नही बेड़ेवे के भाव 70 रूपए प्रति किलोग्राम हैं तो फीड भी 20 रूपए तक बिक रही है।

इस तरह तारामीरा (साबुत व पिसा हुआ) के रेट भी 65 पार पहुंच गए हैं। संजय ने कहा कि ऐसे में किसानों का बजट बुरी तरह से डगमगा गया है। जबकि दूध के दामों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। पराशर ने कहा कि कई वर्ष पूर्व तत्कालीन प्रदेश सरकार किसानों को सब्सिडी पर तूड़ी उपलब्ध करवाती थी। पशु पालकों के हित में सरकार को इस योजना को दोबारा लागू करना चाहिए।

संजय ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में अगर दुग्ध उत्पादन भी होता है तो पशु पालकों को बाजार उपलब्ध नहीं हो पाता है। ऐसे मिल्क प्लांट यूनिट स्थापित हो जाए तो किसान पशु पालन व्यवसाय को बड़े स्तर पर अपना सकते हैं, क्योंकि क्षेत्र के किसान पूरी तरह से सक्षम हैं। कहा कि पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए तंत्र को प्रभावी रूप से कदम उठाने चाहिए।