कैप्टन संजय पराशर की टीम ने 73 निराश्रित महिलाओं को वितरित किए चेक

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

रामचरितमानस में तुलसीदास ने लिखा है-परहित सरिस धर्म नहीं भाई। जिसका भावार्थ है कि दूसरों का हित करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है। सही मायनों में कैप्टन संजय ने भी इन्हीं पक्तियों को चरितार्थ कर दिया है। पराशर प्रति माह जसवां-परागपुर सहित आसपास के पांच विधानसभा क्षेत्रों की निराश्रित महिलाओं को मासिक पेंशन प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा ऐसी महिलाओं के होनहार बच्चों के लिए भी स्कॉलरशिप उपलब्ध करवा रहे हैं। सोमवार को पहले चरण में पराशर की टीम ने ऐसी 73 महिलाओं के घर पहुंचकर उन्हें चेक भेंट किए।

वहीं, निराश्रित महिलाओं का कहना है कि उनका संजय पराशर से धर्म भाई जैसा नाता है आैर जब जीवन के कठिनतम समय और विपरित परिस्थितयों में कुछ नजा नहीं आ रहा था तो पराशर उनके लिए सहारा बने।

दरअसल ऊना जिला के संतोषगढ़ की निराश्रित महिला रजनी देवी के पति के निधन के बाद संजय को पिछले वर्ष कोरोनाकाल के दौरान उनके परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में पता चला तो संजय ने उसी वक्त इस महिला के बच्चों की पढ़ाई के लिए पांच वर्ष तक स्कॉलरशिप का प्रावधान कर दिया।

उसके बाद जसवां-परागपुर और अन्य क्षेत्रों से जिन महिलाओं को सरकार की तरफ से पेंशन नहीं मिल रही थी, को भी मासिक पेंशन लगा दी। संजय पेंशन का भुगतान चेक से करते हैं। कस्बा कुहासुन से रंजू बताती हैं कि पति के निधन के बाद वह मानसिक व आर्थिक रूप से बुरी तरह टूट चुकी थीं। जीवन में हर तरफ अंधेरा नजर आता था, लेकिन तभी संजय पराशर जैसे व्यक्तित्व ने उन्हें ढांढस बंधाया और जीवन को हर हाल में जीने की प्रेरणा दी तो। इसके साथ ही हर महीने पेंशन भेजना शुरू कर दिया। कहा कि पराशर के सहयोग से तीन बेटियों की पढ़ाई और उनके सुनहरे भविष्य के लिए ध्यान दे रही हैं।

डांगड़ा बणी से अनु देवी का कहना था कि अपने संसाधनों से संजय ने उनके परिवार को संकट की घड़ी में मदद की और अब भी मासिक पेंशन के साथ बड़े भाई की तरह परिवार की फिक्र करते हैं। उधर, बड़ी बात यह भी है कि इनमें से कुछ महिलाओं ने आर्थिक रूप से सक्षम होने के बाद पराशर से खुद आग्रह किया कि उनकी पेंशन किसी और जरूरतमंद बहन को लगा दी जाए। पराशर गंभीर बीमारियों से जूझ रहे व्यक्तियों को भी मासिक दे रहे हैं। निराश्रित महिलाओं, बीमार व्यक्तियों और आर्थिक रूप से अक्षम लेकिन होनहार विद्यार्थियों सहित कुल 223 को संजय ने आर्थिक सहायता दी है।

महादेव जनकल्याणकारी संस्था, गरली के उपाध्यक्ष हेमराज ने बताया कि पराशर उनकी संस्था में पंजीकृत निराश्रित महिलाओं को भी पेंशन दे रहे हैं और इन बहनों के बच्चों के भविष्य के लिए भी प्रयासरत रहते हैं। वहीं, संजय पराशर का कहना था कि समाज के हर उस अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के साथ उनका भाग्य जुड़ा हुआ है, जो अपने जीवन में परेशानी या मुसीबत के दौर से गुजर रहा है। समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए वह प्रयासरत हैं।