हिमाचलः एक पांच बार तो दूसरा तीन बार नेशनल खेलने के बाद भी बेच रहे सड़क के किनारे गन्ने का जूस

उमेश भारद्वाज। मंडी

जहां केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा टोक्यो ओलंपिक में देश के खिलाड़ियों द्वारा शानदार प्रदर्शन खूब सराहा जा रहा है। वहीं मंडी जनपद के दो कुश्ती खिलाड़ी। एक के कुश्ती में पांच तो दूसरे के तीन नेशनल मेडल जीत चुके है, लेकिन सरकारी बेरुखी के चलते एक खिलाड़ी हाइवे के किनारे अपने पिता के साथ गन्ने का जूस बेच रहा है तो दूसरा मेसन के साथ मजदूरी कर दिहाड़ी लगाने को मजबूर है। दोनों ही खिलाड़ी ग्रेजुएट और इलेक्ट्रिकल आईटीआई डिप्लोमा होल्डर भी हैं।

नौकरी के लिए कई दफा मुख्यमंत्री और खेल मंत्री के साथ खेल विभाग में एक अदद नौकरी के लिए फरियाद लगा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने बिजली विभाग को नौकरी के लिए आदेश भी पारित किए हैं। लेकिन दो वर्ष बीत जाने पर भी उन्हें आश्वासनों के सिवा कुछ और हासिल नहीं हुआ है। सरकार के आश्वासनों के बाद दर-दर भटक कर अब दोनों खिलाड़ी थक चुके हैं। अब उम्मीद है कि केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर उनका मर्म समझें और उन्हें नौकरी प्रदान करने के लिए सकारात्क कार्रवाई करे।

अजय कुमार कुश्ती खिलाड़ी
बल्ह विकास खंड के लोहारा गांव के 31 वर्षीय कुश्ती खिलाड़ी अजय कुमार ने कहा कि पिछले लंबे समय से कुश्ती खेल में हिमाचल प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं और 5 नेशनल खेल चुके हैं। परिवार में माता-पिता के अतिरिक्त पत्नी और एक छोटी बेटी है। परिवार के भरण पोषण के लिए दिहाड़ी लगानी पड़ रही है।

राकेश कुमार कुश्ती खिलाड़ी
विकास खंड सुंदरनगर के गांव तलवाली निवासी 31 वर्षीय नेशनल खिलाड़ी राकेश कुमार ने कहा कि वे कला स्नातक हैं और वर्ष 2018 में आईटीआई इलेक्ट्रिशियन डिप्लोमा भी किया है। बिजली विभाग में खिलाडियों के लिए 3 प्रतिशत कोटे के तहत नौकरी के लिए आग्रह किया। लेकिन विभाग के अनुसार इसमें कुश्ती, बॉक्सिंग व जूडो आदि खेलों के खिलाडियों को योग्य करार नहीं दिया जा रहा है।