हिमाचलः पंचायत पर लगा बीपीएल की सूची में धोखाधड़ी का आरोप

बीपीएल आईआरडीपी की सूची से 48 लोगों के बिना सरकार की नोटिफिकेशन से नाम काटे गए थे

चैन गुलेरिया। जवाली

ब्लाक फतेहपुर की पंचायत सिद्धपुरघाड़ में 29 जुलाई को हुए आम ग्राम सभा के इजलास में बीपीएल आईआरडीपी की सूची से 48 लोगों के बिना सरकार की नोटिफिकेशन से नाम काटे गए थे और उनकी जगह पर पंचायत ने अपने चहेते और साधन संपन्न लोगों को डाला गया, जिसकी शिकायत बीडीओ फतेहपुर राज कुमार व एसडीएम जवाली कृष्ण कुमार को दी गयी। पंचायत सिद्धपुरघाड़ में इस खबर के मिलते ही गांव वासियों में हड़कम्प मच गया। पंचायत और ब्लाक का तालमेल ही नही हो पाया। पंचायत ने एक प्रस्ताब पारित किया कि काटे व डाले गए लोग 15 अगस्त से पहले पहले आपने आय प्रमाण पत्र पंचायत में जमा करबाए अन्यथा उनकी सुनवाई नही होगी। लेकिन ब्लाक के अधिकारी पंचायत सिद्धपुरघाड़ में इन्क्वारी करने के लिए 12 अगस्त को ही आ गए। न तो काटे गए लोगों के आय प्रमाण पत्र थे और न ही डाले गए लोगों के प्रमाण पत्र थे ।

इन्क्वारी करने आये समाज शिक्षा एवं खण्ड योजना अधिकारी सुभाष चंद व महिला समाज शिक्षा आयोजिका संतोष कुमारी ने टालमटोल करके लोगों को लॉलीपॉप देकर अपनी खानापूर्ति करके अपना पल्ला झाड़ा ।केव ल 10.12 आदमियों के बयान दर्ज किए और चलते बने ।यहाँ इन्क्वारी पंचायत की होनी चाहिए थी कि कैसे 48 लोगों को बीपीएल सूची से बाहर किया और किस मापदण्ड के तहत अपने चहेतों को डाला यह फैसला आम ग्राम सभा में क्यों नही लिया गया ऐसा कुछ नही हुआ । केवल वहाँ निकाले गए 10.12 लोगों के बयान दर्ज किए । । बाकी किसी से कुछ नही पूछा गया । लोगों का पहला सवाल है कि 48 लोगों को सरकार के आदेशों बिना ही किस माप दंड के तहत काटा गया और उनकी जगह किस मापदण्ड के तहत अपने चाहतों को बीपीएल की सूची में दर्ज किया गया । और दूसरा सरकार के आदेश है कि जिस किसी को भी बीपीएल की सूची से काटना है या डालना है इस प्रक्रिया को लोगों के समक्ष ही करना चाहिये न कि बाद में बंद कमरे में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करके निर्दोष व्यक्तियों का गला घोंटना चाहिये ।

लोगों का दूसरा सवाल है कि पंचायत घर में हजारों रुपये की लागत से सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है । उनकी निगरानी में काम क्यों नही किया जाता । उन कैमरों को शो पीस क्यों बनाया हुआ है । सीसीटीवी कैमरों को बंद रखना भी काफी सन्देह पैदा करता है कि इन्हें बन्द करके अपनी कमी को जाहिर नही करना चाहते। तीसरा सवाल है कि जितने भी आगामी विकास के लिए लोगों के काम डालने थे उनके बारे मे किसी को भी डालने वाले जरूरी कामों के बारे मे नही पूछा गया । हो सकता है कि वो भी अपने चहेतों के काम डाले होंगें। पंचायत सिद्धपुरघाड़ के ग्रामीणों में पंचायत की इस मनमानी पर भारी रोष है और हिमाचल सरकार में मुख्यमंत्री के पद पर आसीन जयराम ठाकुर व पंचायती राज मंत्री वीरेंदर कंवर से गुहार लगाई है कि सिद्धपुरघाड़ की समस्त पंचायत पर सरकार के नियमों का उलंघन करना और सीनाजोरी, तानाशाही रवैया अपनाते हुए गरीव लोगों को बीपीएल की सूची से बाहर करना व अपने अपात्र चहेतों को बीपीएल की सूची में शामिल करने पर सख्त से सख्त करवाई की जाय ताकि भविष्य में कोई भी पंचायत ऐसी कोताही न बरतें ।