हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड तकनीकी कर्मचारी महासंघ

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

कोविड-19 संक्रमण के काल में, जब पूरा देश लॉकडाउन है, लाखों लोग इसके शिकार हो रहे है, हजारों मौते हो चुकी है। सब तरफ अनिश्चितता और भय का माहौल है ऐसे समय में ऊर्जा मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रिसिटी संसोधन बिल 2020 लाकर इसके माध्यम से वितरण क्षेत्र में निजीकरण का रास्ता बनाने का काम किया जाना निंदनीय है।

भारतीय मजदूर संघ एवं अखिल भारतीय विद्युत मजदूर महासंघ से संबद्ध हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड तकनीकी कर्मचारी संघ ने इस बिल पर के अनेक प्रावधानों पर अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए इस पर व्यापक चर्चा करने एवं निरस्त करने की मांग की है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दूनी चंद ठाकुर एवं महामंत्री नेक राम ठाकुर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि वितरण क्षेत्र में सब लाइसेंसी का प्रावधान किया जा रहा है। क्रॉस सब्सिडी खत्म कर सब्सिडी व्यवस्था को धीरे-धीरे समाप्त किया जाना है। इससे गरीब जनता की बिजली दर महंगी होगी।

सरकार की मंशा उद्योग, व्यापार, कृषि और घरेलू बिजली दरें समान करने की दिखाई देती है, राज्य नियामक आयोगों की उपादेयता समाप्त कर केंद्रीय नियंत्रण में लाने की बात कही गई है। यह सब भारत जैसे देश में उचित नहीं है, सब लाइसेंसी के रूप में पूंजीपतियों का प्रवेश का मार्ग प्रशस्त होगा। वैसे भी विद्युत अधिनियम 2003 के माध्यम से पूरे देश के बिजली बोर्डों को समाप्त कर दिया गया था तथा यह दावा किया गया था कि उपभोक्ताओं को सस्ती, गुणवत्तापूर्ण निरंतर बिजली दी जाएगी, लाइन लॉस कम किेए जाएंगे।

जिम्मेदारी तय की जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ अपितु राजनीतिक हस्तक्षेप से वितरण कपनिया बर्बाद हो रही है। भारत सरकार अगर आगामी दिनों में इस बिल के जन विरोधी प्रावधानों को निरस्त नहीं करती है। हिमाचल प्रदेश राज्य तकनीकी कर्मचारी महासंघ भारतीय मजदूर संघ एवं अखिल भारतीय विद्युत मज़दूर महसंघ के तत्वावधान में प्रदेश व पूरे देश में आंदोलन करने को बाध्य होगी।