दोषी न सरकार, न ही आयोग, फिर गुनहगार कौन

न सरकार की गलती और न आयोग की चूक फिर कंडक्टर परीक्षा के पेपर लीक मामले में आखिर जिम्मेदार कौन यह बात समझ से परे है। कहा जाता है जिसकी गलती हो खामियाजा उसे ही भुगतना पड़ता है, लेकिन यहां यह बात बिल्कुल निराधार सी होती प्रतीत हो रही है, क्योंकि सरकार और आयोग की इस चूक का खामियाजा फिर से मेहनतकश बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ रहा है।

आखिर उनकी गलती क्या रही होगी। क्या उन्होंने परीक्षा फॉर्म भरा और नौकरी पाने के लिए मेहनत कर अपने घर से दूर कहीं परीक्षा केंद्र में परीक्षा दी। यहां तक कि किसी ने होटल या सराय में रात गुजारी तो कोई आधी रात को ही अपने घर से परीक्षा केंद्र के लिए रवाना हो गए।

एक तरफ मंत्री कहते हैं विभाग का कुछ लेना-देना नहीं और पूरा ठीकरा कर्मचारी चयन आयोग पर फोड़ रहे हैं। वहीं आयोग भी अपनी गलती न मानकर किसी और पर इसका इल्जाम लगाने की जुगत में है। यदि इनमें से चूक किसी की नहीं है तो आखिर गलती किसकी है।

खैर चूक किसी की भी रही है, लेकिन इसका खामियाजा तो जरूरतमंद मेहनतकश बेरोजगार युवा को ही भुगतना पड़ेगा। क्या कभी सरकार इन युवाओं के भविष्य से हो रहे खिलबाड़ को रोकने के लिए कदम उठाएगी या नहीं। या फिर आरोप-प्रत्यारोप कर हर बार की तरह इस बार भी मामले को दबा दिया जाएगा।